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पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन ने दी ‘रोटी पलटने’ की सलाह, दिल्ली रिजल्ट पर कहीं नीतीश के लिए इशारा तो नहीं?

ByLuv Kush

फरवरी 9, 2025
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उन्होंने कहा कि रोटी को पलटते रहोगे तो रोटी पकेगी लोग खाएंगे.अगर एक तरफ ज्यादा देर रहा तो जल जाती है. लोकतंत्र उलटने-पलटने से ही ये जनता को फायदा है. ये लोकतंत्र में सत्ता का आना और जाना ये एक आम बात है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता परिवर्तन जरूरी है और यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है.

सत्ता बदलना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी: आनंद मोहन ने लोकतंत्र में सत्ता परिवर्तन को जरूरी बताते हुए कहा, ‘डॉ. राम मनोहर लोहिया का मानना था कि रोटी को यदि उलटते-पलटते रहेंगे, तभी वह ठीक से पकेगी और लोग उसे खा सकेंगे, लेकिन यदि रोटी को तवे पर एक ही तरफ ज्यादा देर तक रखा जाए, तो वह जल जाती है. इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि सत्ता का आना-जाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है और यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है.

लोकतंत्र के तकाजे के अनुसार दिल्ली में सही हुआ: आम आदमी पार्टी की हार पर आनंद मोहन ने कहा कि जो जैसा काम करेगा, उसे वैसा ही परिणाम मिलेगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की परिस्थितियां सभी के सामने स्पष्ट हैं. लगातार सत्ता में बने रहने का नुकसान उठाना पड़ता है और यही लोकतंत्र की सच्चाई है. पूर्व सांसद ने एनडीए की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि गठबंधन के लिए खुशी है. दिल्ली से लेकर बिहार तक चुनावी नतीजों ने एनडीए कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया है.

जीत ने भाजपा और एनडीए गठबंधन को नया जोस भरा: आनंद मोहन ने कहा कि जो जैसा काम करेगा, उसे वैसा ही परिणाम मिलेगा. दिल्ली विधानसभा चुनाव की परिस्थितियां सभी के सामने स्पष्ट हैं. लगातार सत्ता में बने रहने का नुकसान उठाना पड़ता है और यही लोकतंत्र की सच्चाई है. पूर्व सांसद ने एनडीए की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि गठबंधन के लिए खुशी है. दिल्ली से लेकर बिहार तक चुनावी नतीजों ने एनडीए कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया है. दिल्ली चुनाव में जो हुआ वह लोकतंत्र के तकाजे के अनुसार सही ही हुआ.

“दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो परिस्थितियां बनी, वे किसी से छिपी नहीं हैं. लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण आम आदमी पार्टी को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि जब कोई सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरती है, तो जनता उसे सत्ता से बाहर करने में देर नहीं लगाती. यह लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया और इसी सिद्धांत के आधार पर दिल्ली में बदलाव हुआ है.” -आनंद मोहन पूर्व बाहुबली सांसद

आप ने सपने दिखाये पर पूरे नहीं किए: उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाए, लेकिन समय के साथ वे सपने टूटते गए. लोग अब समझ चुके हैं कि केवल वादों से सरकार नहीं चलाई जा सकती, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करना भी उतना ही आवश्यक है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के लिए यह हार एक बड़ी सीख होगी कि सिर्फ प्रचार और घोषणाओं से राजनीति नहीं चलती, बल्कि जनता के प्रति जवाबदेही भी जरूरी होती है.

‘लोहियावादी’ होना नीतीश को अपच जरूर करेगा: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नजदीकी आनंद मोहन का जगजाहिर है. उनकी पत्नी लवली आनंद जेडीयू से शिवहर की सांसद हैं. उनका बेटा आरजेडी से विधायकी जीतकर नीतीश सरकार का समर्थन कर दिया. बिहार में लंबे समय से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं और इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव है. ऐसे में आनंद मोहन का ‘लोहियावादी’ होना सत्ताधारी पार्टियों को अपच जरूर करेगा.


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