भागलपुर, 31 मई 2025:भागलपुर जिले में सरकार द्वारा एक महत्त्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके तहत जन वितरण प्रणाली (PDS) से जुड़े सभी राशन कार्डधारी परिवारों को जीविका स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सकें।
जिले में सर्वे का कार्य जोरों पर
जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक सुनिर्मल गरेन ने जानकारी दी कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 5,32,630 राशन कार्डधारी परिवारों की पहचान की गई है। इन सभी परिवारों का घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है, ताकि यह पता चल सके कि कौन से परिवार अब तक स्वयं सहायता समूहों से नहीं जुड़े हैं।
अब तक जिले में 3,39,650 परिवार जीविका समूहों से जुड़ चुके हैं। शेष बचे परिवारों की महिलाओं को जल्द ही जीविका समूहों में शामिल किया जाएगा। इस अभियान के लिए ग्राम संगठन, सामुदायिक संसाधन सेवियों और जीविका मित्रों को जिम्मेदारी दी गई है।
कल्याणकारी योजनाओं से होगा जोड़ाव
जीविका समूहों से जुड़ने के बाद महिलाओं को आवास योजना, राशन कार्ड, आयुष्मान भारत योजना जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले चार दिनों से जिले में आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में जीविका दीदियों ने सक्रिय भागीदारी की।
तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया
समूहों में कार्यरत महिलाओं को ऑनलाइन आयुष्मान कार्ड बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि वे अपने समुदाय के अन्य लोगों की मदद कर सकें। इसके अलावा, जीविका दीदियों को स्वरोजगार, उद्यमिता और वित्तीय साक्षरता से भी जोड़ा जा रहा है।
नए समूहों का गठन
अभियान के तहत पिछले एक महीने में 414 नए स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं, जिनसे 5,560 नए परिवार जुड़े हैं। महादलित बस्तियों में भी विशेष अभियान चलाकर 953 परिवारों को समूहों से जोड़ा गया है।
महिलाओं को मिल रहा आत्मनिर्भरता का मंच
सरकार का मानना है कि सामुदायिक संगठन न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक नेतृत्व की ओर भी अग्रसर करते हैं। जीविका समूहों के माध्यम से महिलाएं आज उद्यमी, प्रशिक्षक और समुदाय की प्रेरक बन रही हैं।
यह विशेष अभियान भागलपुर जिले की महिलाओं के लिए एक नया अवसर लेकर आया है, जिससे वे न केवल सरकार की योजनाओं से जुड़ सकेंगी, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी आगे बढ़ेंगी।