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पटना, 18 जून 2025 – बिहार में बिजली क्रांति का एक नया अध्याय लिखा गया है। बीते दो दशकों में राज्य ने ऊर्जा क्षेत्र में ऐसी प्रगति की है जिसकी कल्पना कभी मुश्किल मानी जाती थी। वर्ष 2005 में जहां राज्य की अधिकतम बिजली मांग मात्र 700 मेगावॉट थी, वहीं 2025 में यह 8428 मेगावॉट तक पहुंच गई है – यानी 12 गुना से भी अधिक की वृद्धि

हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य समय से पहले पूरा

बिजली क्षेत्र में यह परिवर्तन अचानक नहीं आया। राज्य सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं, विशेष रूप से मुख्यमंत्री विद्युत संबंध निश्चय योजना (बाद में सौभाग्य योजना) ने इस बदलाव की नींव रखी। इस योजना के तहत अक्टूबर 2018 तक ही राज्य के सभी घरों तक बिजली पहुंचाई जा चुकी थी, जबकि निर्धारित समयसीमा मार्च 2019 थी।

5 गुना बढ़ी प्रति व्यक्ति बिजली खपत

बिजली खपत में यह वृद्धि केवल मांग तक सीमित नहीं रही, बल्कि लोगों की जीवनशैली और सुविधाओं में भी बड़ा बदलाव देखा गया।

  • 2005 में प्रति व्यक्ति बिजली खपत जहां 75 किलोवॉट थी,
  • 2025 में यह बढ़कर 363 किलोवॉट हो गई है।

इसका मतलब है कि राज्य में प्रति व्यक्ति खपत में 5 गुना से अधिक का इजाफा हुआ है।

उपभोक्ताओं की संख्या में 12.5 गुना की वृद्धि

बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में भी भारी उछाल देखा गया:

  • 2005 में राज्य में केवल 17 लाख उपभोक्ता थे।
  • 2025 में यह आंकड़ा 2 करोड़ 14 लाख को पार कर गया।

2012 में यह संख्या 38 लाख और 2014 में 43 लाख थी, जो अब लगभग साढ़े बारह गुना बढ़ चुकी है।

अब गांव और शहरों में 22 से 24 घंटे बिजली

बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार ने राज्य के गांव और शहरों को नई ऊर्जा दी है।

वर्ष शहरी क्षेत्रों में आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति
2005 10–12 घंटे 5–6 घंटे
2012 14–16 घंटे 8–10 घंटे
2014 20–21 घंटे 14–16 घंटे
2025 23–24 घंटे 22–23 घंटे

अब राज्य के किसी भी हिस्से में औसतन 22 से 24 घंटे तक बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग समेत हर क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

विद्युतीकरण का दायरा भी हुआ व्यापक

  • 2005 में राज्य के केवल 14,020 गांव विद्युतीकृत थे।
  • 2025 में यह संख्या बढ़कर 39,073 गांवों तक पहुंच गई है।
  • साथ ही, टोलों की संख्या जो पहले बहुत सीमित थी, अब 1,06,249 टोलों तक पहुंच चुकी है।

क्या कहता है ऊर्जा विभाग

ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, लगातार बढ़ती बिजली मांग को देखते हुए पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ वैकल्पिक स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा की ओर भी तेजी से रुख किया जा रहा है, जिससे भविष्य की मांगों को भी संतुलित रूप से पूरा किया जा सके।


बिहार ने ऊर्जा क्षेत्र में जिस प्रकार से संरचनात्मक और आधारभूत बदलाव किए हैं, वे सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं, बल्कि आमजन के जीवन में आए व्यापक बदलाव का प्रमाण हैं। आने वाले वर्षों में राज्य ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होता दिखाई दे रहा है।


 

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