बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में मंगलवार सुबह दिगंबर जैन मुनि को कुछ युवकों ने रोककर धमकी दी और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। घटना सरैया थाना क्षेत्र के गोपीनाथपुर दोकड़ा के पास हुई। धमकी के विरोध में जैन मुनि ने नेशनल हाईवे-722 किनारे बैठकर मौन ध्यान शुरू कर दिया।
वैशाली समारोह के बाद लौट रहे थे जैन मुनि
पुलिस के अनुसार उपसर्गजयी श्रमण श्रीविशल्यसागर जी मुनिराज वैशाली में आयोजित स्वर्ण कलश और स्वर्ण ध्वज स्थापना समारोह में शामिल होने आए थे। वे बासोकुंड स्थित महावीर जन्मस्थली परिसर में ठहरे थे। सोमवार की रात उन्होंने सरैया के दोकड़ा स्थित कांटी टोला स्कूल में विश्राम किया था।
‘कपड़ा पहनकर चलो नहीं तो गोली मार देंगे’ — युवकों की धमकी
मंगलवार सुबह जब मुनिराज मड़वन की ओर विहार पर निकले, तभी बाइक से आए दो युवकों ने उन्हें रोक लिया।
जैन मुनि के समर्थकों के अनुसार युवकों ने अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा —
“कपड़ा पहनकर चलो, नहीं तो गोली मार देंगे।”
मुनिराज ने विरोध किया तो युवक धमकी देकर फरार हो गए। इससे अनुयायियों और स्थानीय लोगों में अफरा-तफरी मच गई।
NH किनारे बैठ गए जैन मुनि, पुलिस पहुंची
धमकी के बाद जैन मुनि NH-722 किनारे मौन ध्यान में बैठ गए। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी।
सरैया थानाध्यक्ष सुभाष मुखिया मौके पर पहुंचे और सुरक्षा की व्यवस्था की।
“आरोपी युवकों की पहचान की जा रही है। अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है।”
— सुभाष मुखिया, थानाध्यक्ष
पुलिस टीम ने मुनिराज को सुरक्षा देते हुए उन्हें मड़वन स्थित अख्तियारपुर तक पहुंचाया, जहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया।
जैन समाज में आक्रोश
घटना के बाद जैन समुदाय और स्थानीय लोगों में तीव्र आक्रोश है। संतों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
मुनिराज अपनी तय यात्रा के अनुसार सीतामढ़ी होते हुए मिथिलापुरी की ओर आगे बढ़ गए हैं।
क्यों दिगंबर जैन मुनि कपड़ा नहीं पहनते?
दिगंबर परंपरा के अनुसार —
- वस्त्र विकारों को ढकने का माध्यम माना जाता है।
- जो मुनि पूर्ण त्याग और आत्म-विजय की अवस्था में पहुँचते हैं, उन्हें वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती।
- वस्त्र रखने से उसकी देखभाल और संपत्ति की ज़रूरत पड़ती है, जबकि दिगंबर मुनि समस्त भौतिक इच्छाओं का त्याग करते हैं।
श्वेतांबर और दिगंबर दो परंपराएँ कैसे बनीं?
जैन धर्म में दो प्रमुख समुदाय हैं — श्वेतांबर और दिगंबर।
- माना जाता है कि 12 वर्षों तक चले भीषण अकाल के समय कुछ जैन मुनि दक्षिण भारत चले गए, जबकि कुछ उत्तर भारत में ही रहे।
- उत्तर भारत के साधुओं ने कठिन परिस्थितियों में समस्त सुविधाओं और वस्त्रों का पूरी तरह त्याग कर दिया।
- 12 साल बाद दक्षिण से लौटे साधुओं ने जब उन्हें पुराने नियम अपनाने को कहा, तो वे सहमत नहीं हुए।
- इसी के बाद दो समुदाय बने—
- श्वेतांबर – सफेद वस्त्र धारण करते हैं
- दिगंबर – वस्त्र धारण नहीं करते


