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नई दिल्ली | 27 मई 2025 : फॉरेन क्लब, नई दिल्ली में आज आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने देश के वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी और लोकप्रिय राजनेता स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र की हत्या की फिर से निष्पक्ष जांच की जोरदार मांग की। उन्होंने इस ऐतिहासिक मामले से जुड़े कई दस्तावेज, रिपोर्ट्स और प्रमाणों को मीडिया के सामने रखा, जिससे इस हत्या के पीछे गहरी राजनीतिक साजिश की ओर इशारा मिलता है।

श्री चौबे ने कहा, “अब समय आ गया है कि इस ऐतिहासिक अन्याय की पुनर्समीक्षा हो और न्याय सुनिश्चित किया जाए। यह सिर्फ एक परिवार की नहीं, पूरे मिथिलांचल और बिहार की जनभावनाओं का सवाल है।”

प्रेस वार्ता में स्वर्गीय मिश्र जी के पौत्र और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्री वैभव मिश्रा भी उपस्थित रहे।


ललित नारायण मिश्र का योगदान और हत्या की पृष्ठभूमि

स्वर्गीय मिश्र जी का राजनीतिक सफर बेहद समृद्ध और प्रभावशाली रहा। वे तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होंने योजना, श्रम एवं रोजगार, वित्त, विदेश व्यापार, और अंततः रेल मंत्री के रूप में देश की सेवा की।

2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर एक ब्रॉड गेज लाइन के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान हुए ग्रेनेड हमले में वे गंभीर रूप से घायल हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना में दो अन्य लोगों की भी मौत हुई – बिहार विधान परिषद सदस्य सूर्य नारायण झा और रेलवे कर्मचारी राम किशोर प्रसाद सिंह


जांच और अनुत्तरित प्रश्न

मामले की जांच बिहार पुलिस, सीआईडी और बाद में सीबीआई ने की, लेकिन आज तक कई सवाल अनुत्तरित हैं।

  • जस्टिस वी.एम. तारकुंडे की रिपोर्ट (1979) और सीआईडी बिहार की रिपोर्ट (1978) दोनों ही राजनीतिक साजिश की ओर इशारा करती हैं।
  • इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट “किसने एल.एन. मिश्र की हत्या की?” ने भी मामले को नई दृष्टि से देखने का प्रयास किया।

प्रेस वार्ता में बताया गया कि गिरफ्तार आरोपियों अरुण कुमार मिश्रा और अरुण ठाकुर ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिए थे। 26 मार्च 1975 को संसद में तत्कालीन गृह मंत्री ब्रह्मानंद रेड्डी ने इन नामों का खुलासा किया था।


राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिक्रियाएं

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और चौधरी चरण सिंह जैसे नेताओं ने न्याय की मांग की थी, लेकिन साजिशें और दबाव सच्चाई को सामने नहीं आने दिया।


SIT गठन की मांग

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने केंद्र सरकार से विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग करते हुए कहा कि “यह एक व्यक्ति नहीं, एक पूरे क्षेत्र की भावनाओं की मांग है।”

उन्होंने कहा कि जस्टिस मैथ्यू आयोग, तारकुंडे रिपोर्ट और सीआईडी रिपोर्ट – तीनों के अलग निष्कर्षों से यह स्पष्ट है कि अब एक नई, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच जरूरी है।