बक्सर, बिहार – बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में सभी प्रमुख दल जुट गए हैं। इसी क्रम में रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे बक्सर पहुंचे, जहां उन्होंने ‘जय भीम, जय बापू, जय संविधान’ रैली को संबोधित किया। लेकिन यह रैली कांग्रेस के लिए भारी फजीहत का कारण बन गई, क्योंकि कार्यक्रम में भीड़ नहीं जुट सकी और आधे से ज्यादा कुर्सियां खाली रहीं।
बिहार कांग्रेस द्वारा आयोजित इस रैली को लेकर बड़े दावे किए गए थे। कहा गया था कि लाखों की संख्या में लोग रैली में शामिल होंगे, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों के बिल्कुल उलट नजर आई। रैली में मौजूद गिनती के लोग या तो पार्टी कार्यकर्ता थे या आस-पास के क्षेत्र से आए कुछ स्थानीय लोग। मंच से बार-बार यह अपील की जाती रही कि लोग आकर कुर्सियों पर बैठें, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ।
मल्लिकार्जुन खरगे ने मंच से केंद्र सरकार और बिहार की एनडीए सरकार पर तीखा हमला बोला, लेकिन उन्हें सुनने वाले लोगों की संख्या बेहद कम रही। रैली में खाली कुर्सियां अधिक नजर आईं, जिससे कार्यक्रम की शोभा फीकी पड़ गई। खुद कांग्रेस अध्यक्ष भी इस दृश्य से असहज नजर आए।
इस घटना ने न केवल कांग्रेस की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि बिहार में पार्टी की जमीनी पकड़ अभी भी बेहद कमजोर है। कांग्रेस, जो महागठबंधन में ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाने की आकांक्षा रखती है, इस रैली के बाद सवालों के घेरे में आ गई है।
उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच रस्साकशी चल रही है। राजद पहले ही तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित कर चुकी है, जबकि कांग्रेस इस पर सहमत नहीं दिखती। बक्सर की नाकाम रैली ने कांग्रेस की दावेदारी को और कमजोर कर दिया है।
अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस इस असफलता से सबक लेकर आगामी चुनावी रणनीति में बदलाव करती है या फिर यह रैली भविष्य में पार्टी के लिए एक चेतावनी के रूप में याद की जाएगी।