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पटना, 10 जून।बिहार सरकार के सुशासन कार्यक्रमों के अंतर्गत मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना राज्य के गांवों में उजाला और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने का सशक्त माध्यम बन रही है। इस योजना का लक्ष्य न केवल ग्रामीण इलाकों को रौशन करना है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आधुनिक तकनीक के जरिये स्वच्छ, सुरक्षित व आत्मनिर्भर गांवों का निर्माण करना भी है।

अब तक इस योजना के तहत बिहार में छह लाख से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई जा चुकी हैं। यह उपलब्धि न केवल योजना की सफलता का प्रमाण है, बल्कि राज्य में ग्रामीण विकास की नई इबारत भी लिख रही है।

तकनीकी निगरानी से बेहतर व्यवस्था

योजना की सबसे बड़ी विशेषता ब्रेडा (BREDA) द्वारा विकसित केंद्रीकृत मॉनिटरिंग सिस्टम है। इस प्रणाली से खराब लाइट की सूचना तत्काल मिलती है और 72 घंटे के भीतर मरम्मत की व्यवस्था की जाती है। तय समय सीमा में मरम्मत नहीं होने पर संबंधित एजेंसी पर प्रति दिन प्रति लाइट ₹10 का जुर्माना लगाया जाता है।

लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई

योजना के तीसरे चरण में कुछ एजेंसियों द्वारा निर्धारित समय सीमा में कार्य नहीं पूरा करने पर राज्य सरकार ने 17 एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पंचायती राज विभाग के निर्देश के अनुसार, कार्यादेश मिलने के 90 दिनों के भीतर लाइट लगाने और रखरखाव कार्य की शर्त अनिवार्य है। सात दिनों में स्पष्टीकरण नहीं देने पर एजेंसियों के विरुद्ध कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

स्थानीय भागीदारी और जवाबदेही

योजना को और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक दस हजार सोलर स्ट्रीट लाइट पर एक सर्विस स्टेशन स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही हर खंभे पर एक व्हाट्सएप नंबर अंकित किया जाएगा, जिस पर ग्रामीण सीधे खराब लाइट की सूचना भेज सकेंगे। इससे न केवल लोगों को सुविधा मिलेगी, बल्कि एजेंसियों की जवाबदेही भी तय होगी।

इस योजना के माध्यम से बिहार सरकार ने स्वच्छ, समृद्ध और सुरक्षित गांव की दिशा में ठोस पहल की है, जो ग्रामीण बिहार की तस्वीर बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।