महाबोधि मंदिर पर नियंत्रण को लेकर बवाल तय! CM नीतीश से मिलने पटना रवाना हुए 300 बौद्ध भिक्षु

पटना/गया: बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद ने अब एक निर्णायक मोड़ ले लिया है। बीटी एक्ट 1949 (बोधगया टेंपल एक्ट) को समाप्त करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे 300 से अधिक बौद्ध भिक्षु अब पटना की ओर पैदल यात्रा पर निकल चुके हैं। 82 दिनों से आंदोलन कर रहे इन भिक्षुओं की मांग है कि मंदिर का पूर्ण प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए।

बौद्ध भिक्षुओं की मांग: बीटी एक्ट खत्म हो

ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फॉर्म के जनरल सेक्रेटरी आकाश लामा ने बताया कि बोधगया टेंपल मैनेजमेंट एक्ट, 1949 को खत्म कर महाबोधि मंदिर का पूर्ण नियंत्रण बौद्धों को दिया जाए। उनका कहना है कि इस कानून के तहत मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) में गैर-बौद्धों, विशेषकर हिंदू समुदाय के लोगों को शामिल किया जाता है, जो अनुचित है।

“दुनिया में ऐसा कोई धार्मिक स्थल नहीं है, जहां किसी अन्य धर्म के लोगों को प्रबंधन का अधिकार दिया गया हो। फिर बोधगया में ही ऐसा क्यों?”

— आकाश लामा, जनरल सेक्रेटरी, ऑल इंडिया बुद्धिस्ट फॉर्म

82 दिन से जारी धरना, अब पैदल यात्रा शुरू

बौद्ध भिक्षु 12 फरवरी 2025 से बोधगया के दोमुहान क्षेत्र में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे। पहले यह आंदोलन आमरण अनशन के रूप में शुरू हुआ था, जिसे बाद में धरने में तब्दील कर दिया गया। रविवार को उन्होंने धरने से उठकर पटना तक पैदल यात्रा शुरू की है। यह यात्रा 5 मई की रात पटना पहुंचेगी, और 6 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने का समय मांगा गया है।

बुद्ध पूर्णिमा पर नीतीश को देंगे न्योता

आकाश लामा ने बताया कि मुख्यमंत्री को बुद्ध पूर्णिमा के कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया जाएगा। उन्होंने आग्रह किया कि मुख्यमंत्री स्वयं धरना स्थल पर आएं और आंदोलनकारियों की बात सुनें।

बड़े पैमाने पर जुटे श्रद्धालु, आंदोलन को देश-विदेश से समर्थन

बौद्ध भिक्षु प्रज्ञा मित्र ने बताया कि इस बार बुद्ध पूर्णिमा में तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु बोधगया पहुंचेंगे। आंदोलन को देश के विभिन्न राज्यों से समर्थन मिल रहा है, विशेष रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान और नागपुर से बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु शामिल हुए हैं।

“यह लड़ाई 134 सालों से चल रही है। जब तक पूरी नहीं होती, हम पीछे नहीं हटेंगे।”

— प्रज्ञा मित्र, बौद्ध भिक्षु, जयपुर

इस आंदोलन को थाईलैंड, लाओस जैसे देशों से भी नैतिक समर्थन मिल रहा है। भिक्षुओं का दावा है कि यह विषय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठ चुका है।

इतिहास: कब और क्यों बना था बीटीएमसी एक्ट?

बोधगया टेंपल एक्ट 1949 की नींव 1922 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में पड़ी थी। स्वतंत्रता के बाद 1948 में बिहार विधानसभा में बिल लाया गया और 28 मई 1953 को पहली BTMC समिति ने कार्यभार संभाला। मंदिर समिति में अभी 7 सदस्य हैं, जिनमें हिंदू समुदाय से 2 और बौद्ध समुदाय से 2 सदस्य हैं। दो पद रिक्त हैं।

सरकार पर सवाल, समाधान की उम्मीद

बौद्ध संगठनों का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर कई बार जिला प्रशासन व गृह विभाग से बातचीत हुई, लेकिन समाधान नहीं निकला। अब सीधी मुलाकात मुख्यमंत्री से कर फैसला निकलवाने की कोशिश है।

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