पटना: आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए नीतीश सरकार की ओर से आयोगों के गठन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। गुरुवार को बिहार सरकार ने दो नए आयोगों का गठन किया — बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड और संस्कृत शिक्षा बोर्ड। इन आयोगों में राजनीतिक और सामाजिक रूप से प्रभावशाली चेहरों को शामिल किया गया है।
धार्मिक न्यास बोर्ड में भाजपा नेता रणवीर नंदन अध्यक्ष, सायन कुणाल को मिली सदस्यता
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक:
- बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भाजपा नेता रणवीर नंदन को नियुक्त किया गया है।
- सायन कुणाल, जो कि महावीर मंदिर के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल के पुत्र हैं, को बोर्ड का सदस्य बनाया गया है।
इसके साथ ही बोर्ड के अन्य सदस्यों में शामिल हैं:
- भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल
- दयानंद कुमार
- विश्वमोहन दास
- आनंद कुमार
- विवेकानंद गिरी
- हिमराज राम
- चंदन कुमार सिंह
- रामबहादुर सिंह
- अभिमन्यु कुमार सिंह
संस्कृत शिक्षा बोर्ड में भी नए सदस्य शामिल, चुनाव से पहले बढ़ा राजनीतिक संतुलन
संस्कृत शिक्षा बोर्ड में भी राज्य सरकार ने धार्मिक और शैक्षणिक प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए नियुक्तियां की हैं:
- धार्मिक, भाषायी अल्पसंख्यक या प्राच्य शिक्षा के निदेशक
- संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति — पदेन सदस्य बनाए गए हैं।
अन्य सदस्य जिनकी नियुक्ति की गई है:
- रामप्रीत पासवान
- विनय कुमार चौधरी
- निवेदिता सिंह
- चंद्रकिशोर कुमार
- अरुण कुमार झा
- धनेश्वर प्रसाद कुशवाहा
- दुर्गेश कुमार राय
- अनुरंजन झा
चुनाव से पहले सामाजिक और धार्मिक वर्गों को साधने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार सरकार का यह कदम चुनाव से पहले धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक वर्गों में संतुलन साधने की रणनीति का हिस्सा है। खासकर सायन कुणाल जैसे प्रभावशाली परिवार से जुड़े नामों को शामिल कर धार्मिक समुदाय में एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की गई है।
भविष्य की राजनीति में असरदार साबित हो सकती है यह कवायद
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस तरह के आयोगों का गठन जहां नीतिगत निर्णयों को गति देता है, वहीं सामाजिक समीकरणों को साधने का एक सधा हुआ राजनीतिक प्रयास भी होता है।
