
रॉकी पांडे बोले – बदनाम करने की हो रही कोशिश, विभाग ने दी क्लीन चिट
भागलपुर, 25 जून।शहर के बाईपास थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित भव्या स्टोर एक बार फिर चर्चा में है। उत्पाद विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि दुकान में ब्राउन शुगर और अन्य प्रतिबंधित नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री हो रही है। सूचना के आधार पर अवर निरीक्षक गौतम कुमार के नेतृत्व में विभागीय टीम ने दुकान में छापेमारी की। हालांकि, मौके से कुछ भी आपत्तिजनक बरामद नहीं हुआ।
अधिकारियों के अनुसार, रॉकी और बंटी नामक दो व्यक्तियों के खिलाफ इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता की शिकायत मिली थी। लेकिन तलाशी के बाद टीम ने स्पष्ट रूप से कहा कि न कोई नशीला पदार्थ मिला, न कोई संदिग्ध वस्तु। विभाग ने इसकी लिखित पुष्टि भी की, जिस पर दुकान संचालक के हस्ताक्षर लिए गए।
पहले भी हो चुकी हैं 4-5 बार छापेमारी, हर बार निकली बेबुनियाद
दुकान संचालक रॉकी पांडे ने कहा कि “यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी 4-5 बार छापेमारी हो चुकी है और हर बार कुछ नहीं मिला। लगता है कि यह किसी सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।” उन्होंने आशंका जताई कि किसी प्रतिस्पर्धी दुकानदार या व्यक्ति द्वारा बार-बार झूठी शिकायतें की जा रही हैं, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके।
रॉकी का यह भी दावा है कि “इस बार विभाग ने स्पष्ट रूप से लिखित में दिया है कि दुकान से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। इससे थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन बदनामी की जो चोट होती है, वह गहरी होती है।”
पुलिस भी पहले कर चुकी है छापेमारी, तब भी नहीं मिली कोई संदिग्ध चीज
गौरतलब है कि इससे पहले बाईपास थाना की पुलिस भी इसी दुकान पर छापा मार चुकी है, लेकिन तब भी कोई नशीला या अवैध सामग्री बरामद नहीं हुई थी। लगातार हो रही इन कार्रवाईयों और हर बार निष्कर्ष ‘शून्य’ होने के बाद अब प्रशासन की भूमिका और सूचना देने वालों की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
प्रशासन को गुमराह करने वालों पर होगी कार्रवाई?
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — क्या बार-बार झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों पर प्रशासन कोई कार्रवाई करेगा?
शराबबंदी और नशा नियंत्रण के मुद्दे पर बिहार सरकार की सख्ती तो दिखती है, लेकिन जब एक ही दुकान पर बार-बार छापेमारी हो और हर बार कुछ भी ना मिले, तो यह विचारणीय है कि कहीं यह कानून के दुरुपयोग का मामला तो नहीं?
अब आगे क्या?
उत्पाद विभाग द्वारा दी गई क्लीन चिट फिलहाल भव्या स्टोर के लिए राहत की खबर है, लेकिन यह मामला कहीं न कहीं प्रशासनिक संसाधनों के दुरुपयोग और व्यवसायियों की छवि धूमिल करने के गंभीर सवालों को जन्म देता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस प्रकरण की तह तक जाता है या नहीं, और यदि बार-बार की जा रही शिकायतें वास्तव में झूठी पाई जाती हैं, तो क्या शिकायतकर्ता के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई होती है?