शेखपुरा / कहलगांव, 1 जून 2025 :बिहार के शेखपुरा जिले की विशेष न्यायालय (एमपी-एमएलए) ने कहलगांव के एसडीपीओ (डीएसपी) कल्याण आनंद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह आदेश साल 2020 में हुए एक हत्या के मामले में बार-बार गवाही नहीं देने पर जारी हुआ है। अब पुलिस अधीक्षक को उन्हें गिरफ्तार कर 7 जून 2025 को कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2 दिसंबर 2020 को शेखोपुरसराय थाना क्षेत्र के कबीरपुर गांव में हेमंत उर्फ विकास कुमार की हत्या से जुड़ा है। उस वक्त कल्याण आनंद शेखोपुरसराय थाने में प्रशिक्षु थाना प्रभारी के रूप में तैनात थे। उन्होंने ही हत्या की एफआईआर दर्ज कर केस की जांच शुरू की थी, जिसके कारण वे इस मुकदमे में मुख्य सरकारी गवाह माने जाते हैं।
बार-बार बुलाने के बावजूद पेश नहीं हुए
जिला लोक अभियोजक उदय नारायण सिंहा और अपर लोक अभियोजक शंभू शरण प्रसाद सिंह के अनुसार, अदालत द्वारा कई बार सम्मन भेजे जाने के बावजूद डीएसपी कल्याण आनंद न्यायालय में पेश नहीं हुए। इसके चलते हत्या के इस गंभीर मामले की सुनवाई लगातार बाधित हो रही थी।
“कोर्ट ने उन्हें अंतिम रूप से 7 जून को गवाही के लिए बुलाया है। उनके बिना इस केस में निष्कर्ष निकालना मुश्किल हो रहा है।”
— उदय नारायण सिंहा, जिला लोक अभियोजक
अदालत का सख्त रुख
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पवन कुमार पांडे ने मामले की सुनवाई के दौरान डीएसपी की अनुपस्थिति पर कड़ा ऐतराज जताया और उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर पुलिस अधीक्षक को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
अन्य सभी गवाहों की गवाही पूरी
अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस मुकदमे में अन्य सभी सरकारी गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। केवल कल्याण आनंद की गवाही ही अब तक शेष है, जो केस की दिशा तय कर सकती है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि गवाह की जिम्मेदारी से बचना न्यायिक प्रक्रिया की गंभीर अवहेलना है।
बिहार पुलिस महकमे के वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अदालत का यह फैसला कानून की निष्पक्षता और जवाबदेही की मिसाल बन सकता है। यह मामला यह भी रेखांकित करता है कि पद चाहे जितना भी बड़ा हो, न्यायिक प्रक्रिया से बचा नहीं जा सकता। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या डीएसपी कल्याण आनंद समय पर कोर्ट में पेश होंगे या पुलिस को उन्हें गिरफ्तार कर लाना पड़ेगा।