
पूर्व मुख्य पार्षद ने बिना टेंडर करोड़ों की परियोजनाओं के निष्पादन का लगाया आरोप, खैरात की जमीन पर दुकान निर्माण को लेकर भी विवाद।
बिहार के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज नगर पंचायत में निर्माण कार्यों को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। पूर्व मुख्य पार्षद प्रमोद चौधरी ने नगर पंचायत प्रशासन पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि पिछले एक वर्ष में एक भी कार्य का टेंडर नहीं हुआ, फिर भी कई निर्माण कार्य विभागीय आदेश के बिना ही कराए गए हैं।
बिना अनुमति निर्माण, खैरात की जमीन पर कब्जे का आरोप
चौधरी ने खासकर वार्ड नंबर 10 में चल रहे दुकान निर्माण कार्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जमीन दशकों से गरीब सब्जी विक्रेताओं की आजीविका का साधन रही है। उन्होंने कहा, “यह जमीन खैरात की है और इस पर बिना वैध अनुमति के पक्की दुकानें बनाई जा रही हैं, ताकि कुछ खास लोगों को आवंटित की जा सकें।” उन्होंने यह भी पूछा कि जो गरीब वहां वर्षों से दुकानें लगा रहे हैं, उनका क्या होगा?
जिला प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल
पूर्व मुख्य पार्षद ने इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब करोड़ों के घोटाले के संकेत मिल रहे हैं, तो जांच अब तक क्यों नहीं हुई? उन्होंने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
मुख्य पार्षद का पलटवार: ‘राजनीति से प्रेरित आरोप’
ठाकुरगंज नगर पंचायत के वर्तमान मुख्य पार्षद श्रीकृष्ण सिंह ने इन सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा, “दुकानों के निर्माण और आवंटन के लिए सभी वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। जल्द ही अखबारों में विज्ञापन जारी कर पारदर्शी तरीके से आवंटन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।”
सिंह ने दावा किया कि नगर पंचायत में जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं, वे सभी प्रक्रियागत पारदर्शिता के तहत हो रहे हैं और किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बरती जा रही है।
स्थानीय लोगों में चर्चा, प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
इस पूरे विवाद ने स्थानीय जनता में हलचल पैदा कर दी है। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत के कार्यों में पारदर्शिता की कमी साफ नजर आ रही है और कार्य की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि अगर जांच होती है, तो कई और परतें खुल सकती हैं।