बेगूसराय। शहर में चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान बुधवार को उस समय एक बड़े ‘शराब कांड’ में बदल गया, जब प्रशासनिक टीम लोहिया नगर ओवरब्रिज के नीचे पहुंची। यहां वर्षों से बसी झोपड़ियों को हटाने के दौरान अवैध महुआ शराब की एक विशाल फैक्ट्री का खुलासा हुआ। मौके से करीब 50 लाख रुपये से अधिक की अवैध शराब बरामद की गई, जिसे देखकर पूरा प्रशासनिक अमला हैरान रह गया।
ओवरब्रिज के नीचे चल रहा था अवैध शराब उद्योग
सूत्रों के अनुसार, ओवरब्रिज के नीचे बनी झोपड़ियों और अस्थायी निर्माणों में लंबे समय से महुआ शराब का उत्पादन और बिक्री का धंधा चल रहा था। नगर निगम और जिला प्रशासन की टीम जैसे ही बुलडोजर के साथ वहाँ पहुंची, उन्हें अंदर खुलेआम चल रही भट्ठियाँ, ड्रम, रासायनिक मिश्रण और शराब बनाने के उपकरण मिले।
तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कैसे शराब उत्पादन की पूरी व्यवस्था एक मिनी-फैक्ट्री की तरह संचालित की जा रही थी।
पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे चलता रहा कारोबार
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा अवैध कारोबार पुलिस और स्थानीय प्रशासन की नाक के नीचे वर्षों से फल-फूल रहा था। इतनी बड़ी मात्रा में शराब और सामग्री मिलने से बिहार में शराबबंदी कानून की निगरानी और पुलिस की खुफिया व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
हर घर में सर्च ऑपरेशन, माफियाओं में हड़कंप
मामला सामने आते ही भारी पुलिस बल मौके पर तैनात कर दिया गया। ओवरब्रिज के नीचे बने दर्जनों घरों और झोपड़ियों में पुलिस ने तुरंत ताबड़तोड़ सर्च अभियान शुरू किया।
स्थिति यह है कि लगभग हर झोपड़ी से शराब या शराब बनाने का सामान बरामद हो रहा है। मौके पर ही पुलिस ने हजारों लीटर शराब नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अधिकारियों का बयान, लेकिन सवाल बरकरार
घटनास्थल पर मौजूद उत्पाद अधीक्षक ने कहा कि विभाग को पहले से गुप्त सूचना थी और उसी आधार पर यह कार्रवाई की गई है।
हालांकि स्थानीय लोगों का सवाल है कि अगर सूचना पहले से थी तो इतनी बड़ी मात्रा में शराब जमा होने का इंतजार क्यों किया गया?
इस सवाल के जवाब में प्रशासन फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहा है।
छापेमारी जारी, बड़े माफियाओं पर नजर
फिलहाल पुलिस की कार्रवाई जारी है और प्रशासन इस बात की जाँच कर रहा है कि इस पूरे नेटवर्क में कौन-कौन लोग शामिल थे।
अभियान के बाद शहर भर में शराब माफियाओं में भारी हड़कंप मचा हुआ है।






