
नालंदा | 28 मई 2025 — बिहार के नालंदा जिले में पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। गुप्त सूचना के आधार पर की गई सघन छापेमारी में पुलिस ने भारी मात्रा में अवैध हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की है। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने पूर्व वार्ड पार्षद प्रतिनिधि और कुख्यात जमीन कारोबारी अखलाखुर रहमान उर्फ अकबर मलिक को भी गिरफ्तार कर लिया।
सुबह 8 बजे से चली 7 घंटे की कार्रवाई
कार्रवाई बिहार थाना क्षेत्र के बैगनाबाद मोहल्ले में की गई, जहाँ एसपी भारत सोनी के नेतृत्व में सदर डीएसपी, लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी, तथा तीन थाना क्षेत्रों की पुलिस टीम ने सुबह 8 बजे से शुरू कर लगभग सात घंटे तक छापेमारी की। इस दौरान अकबर मलिक के घर और ठिकानों की तलाशी ली गई।
क्या-क्या बरामद हुआ?
छापेमारी के दौरान पुलिस ने हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया, जिसमें शामिल हैं:
- 1 डीबीबीएल (Double Barrel) लोडेड गन
- 1 एसबीबीएल (Single Barrel) लोडेड गन
- 1 .315 बोर का राइफल
- 1 .30-06 बोर का राइफल
- 1 एयरगन (दूरबीन के साथ)
- 1 ताइवान मेड 4.5 एमएम रिवॉल्वर (लोडेड)
- 1 .32 बोर पिस्तौल (लोडेड, एक्स्ट्रा मैगजीन के साथ)
- 1 मेड इन इंग्लैंड बेबली स्कॉट .32 रिवॉल्वर
- 168 जिंदा कारतूस
- लगभग 800 एयर गन की गोलियाँ
- 4 सिलेंडरनुमा CO₂ कैप्सूल (संभावित विस्फोटक)
- 1 बैटन शोर (कुल्हाड़ी)
- कई मोबाइल फोन
भागने की कोशिश में पकड़ा गया आरोपी
एसपी भारत सोनी ने प्रेस वार्ता में बताया कि छापेमारी के दौरान अकबर मलिक घर से भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया। उसके खिलाफ धोखाधड़ी, जमीन दलाली, और अन्य आपराधिक गतिविधियों से जुड़े कुल 8 मामले बिहार थाना में दर्ज हैं।
“2012 से अकबर मलिक आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है। बिहटा थाना में भी 2025 में उस पर मामला दर्ज किया गया है।”
— भारत सोनी, पुलिस अधीक्षक, नालंदा
हो सकता है अंतरराज्यीय गिरोह से संबंध
एसपी भारत सोनी ने आगे बताया कि यह मामला इंटर-डिस्ट्रिक्ट या इंटर-स्टेट हथियार तस्करी गिरोह से जुड़ा हो सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसटीएफ (विशेष कार्यबल) को भी सूचित किया गया है। साथ ही अकबर मलिक की अवैध संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
जांच के केंद्र में ‘बैकवर्ड लिंकेज’
पुलिस इस बात की तलाश में है कि बरामद हथियार कहां से लाए गए और किस उद्देश्य से इकट्ठा किए गए थे। हथियारों के संभावित उपयोग और वितरण नेटवर्क की ‘बैकवर्ड लिंकेज’ जांच की जा रही है, ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके।
सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से टला बड़ा खतरा
इस बरामदगी को लेकर सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यदि समय रहते छापेमारी नहीं होती, तो ये हथियार अपराधियों या उग्रवादियों के हाथ लग सकते थे, जिससे क्षेत्र में शांति व्यवस्था को गंभीर चुनौती मिल सकती थी।