पुनौराधाम, सीताकुंड, पंथपाकर, फूलहर और अहिल्या स्थान सहित प्रमुख स्थलों का होगा कायाकल्प
पटना, 3 मई:बिहार सरकार ने राज्य में रामायण सर्किट के धार्मिक स्थलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस श्रृंखला में पुनौराधाम, सीताकुंड, पंथपाकर, फूलहर और अहिल्या स्थान जैसे पौराणिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है।
पुनौराधाम: अयोध्या की तर्ज पर होगा निर्माण
सीतामढ़ी में स्थित माता सीता की जन्मस्थली पुनौराधाम को अयोध्या के राम जन्मभूमि की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है।
- 17 एकड़ में फैले मंदिर परिसर के अतिरिक्त 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित
- कुल लागत: ₹120.58 करोड़
- डिज़ाइन एसोसिएट्स इनकॉरपोरेटेड को परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी गई
- नवंबर 2024 में मिली प्रशासनिक स्वीकृति
सीताकुंड (पूर्वी चंपारण): धार्मिक विरासत का पुनर्विकास
- ₹6.55 करोड़ की पहली किस्त स्वीकृत
- प्रवेश द्वार, चहारदीवारी, कैफेटेरिया, शौचालय, दुकानें और घाट विकसित होंगे
- परियोजना अवधि: 18 महीने
- कार्यान्वयन एजेंसी: बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम
पंथपाकर (सीतामढ़ी): जहां रुकी थी सीता की डोली
- स्थल का पौराणिक महत्व, सूखता नहीं कुंड
- मंदिर परिसर विस्तार, पार्किंग, कैफेटेरिया, स्ट्रीट लाइटिंग, घाटों और तालाब का जीर्णोद्धार प्रस्तावित
- 24 महीनों में पूरी होगी परियोजना
फूलहर (मधुबनी): राम-सीता का प्रथम मिलन स्थल
- ₹5 करोड़ की पहली किस्त स्वीकृत
- पार्किंग, प्रवेश द्वार, घाट, फव्वारे, कैफेटेरिया और लेजर फाउंटेन शो जैसी सुविधाएं प्रस्तावित
- विकास कार्य अगले 2 वर्षों में पूर्ण किए जाएंगे
अहिल्या स्थान (दरभंगा): आध्यात्मिक परिवेश में रूपांतरण
- ₹3.74 करोड़ की पहली किस्त मंजूर
- गेस्ट हाउस, मेडिटेशन पोंड, फव्वारा, सेंट्रल पवेलियन निर्माण शामिल
- 18.5 एकड़ भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव भी भेजा गया
रामायण सर्किट: धार्मिक और पर्यटन विकास की कड़ी
बिहार सरकार की इस पहल का उद्देश्य धार्मिक महत्व वाले स्थलों को विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्रों में तब्दील करना है। इन स्थलों के विकास से न केवल आस्थावानों की आस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि राज्य में धार्मिक पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा।