बिहार चुनाव के बीच EOU का बड़ा एक्शन: 17 AI जनरेटेड फेक वीडियो ब्लॉक, कई यूट्यूब चैनल्स रडार पर

वोटिंग से पहले सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने वालों पर शिकंजा

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और सांप्रदायिकता फैलाने वालों के खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है। चुनाव में अब महज तीन दिन बचे हैं और इस बीच EOU की विशेष यूनिट ने राज्यभर में 184 संदिग्ध सोशल मीडिया पोस्ट और हैंडल्स की पहचान की है। इन पर आपत्तिजनक और भ्रामक सामग्री साझा करने का आरोप है।

जानकारी के अनुसार, इन 184 पोस्ट्स में मुजफ्फरपुर जिले के चार पोस्ट और हैंडल्स भी शामिल हैं। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद इन अकाउंट्स से लगातार सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही थी।

67 लिंक और 25 हैंडल्स पर 21 एफआईआर

EOU के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने बताया कि अब तक 67 लिंक और 25 सोशल मीडिया हैंडल्स के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 21 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इसके साथ ही, विभाग ने चार यूट्यूब चैनलों को भी चिह्नित किया है, जिन पर जातीय और धार्मिक आधार पर मतदाताओं को प्रभावित करने वाले गीत और वीडियो लगातार पोस्ट किए जा रहे थे।

इन चैनलों के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 69 के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है। संबंधित चैनलों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है और केंद्रीय मंत्रालय को ब्लॉक करने का प्रस्ताव भेजा गया है।

17 AI जनरेटेड फेक वीडियो ब्लॉक

EOU की जांच में यह भी सामने आया है कि चुनावी माहौल को प्रभावित करने के लिए 17 AI जनरेटेड फेक वीडियो प्रसारित किए गए थे। इन सभी को टेकडाउन प्रक्रिया के तहत ब्लॉक करा दिया गया है ताकि झूठी या भ्रामक सूचनाएं जनता तक न पहुंचें।

कई प्लेटफॉर्म्स की निगरानी जारी

EOU की कार्रवाई सिर्फ वीडियो तक सीमित नहीं है। जांच एजेंसी ने अब तक

  • 40 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स,
  • 28 यूट्यूब और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स,
  • और 70 सोशल मीडिया प्रोफाइल्स
    की पहचान की है, जो बार-बार आपत्तिजनक या भ्रामक सामग्री प्रसारित कर रहे थे।

इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ब्लॉकिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीआईजी ढिल्लो ने कहा कि इन पोस्ट्स और चैनलों के पीछे कौन लोग हैं, इसकी पहचान की जा रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

EOU का यह कदम चुनाव से ठीक पहले सोशल मीडिया पर फैल रहे फेक कंटेंट और सांप्रदायिक अफवाहों पर नियंत्रण के लिए अहम माना जा रहा है।

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