सीएम नीतीश कुमार बोले — 2005 से पहले बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई थी

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वर्ष 2005 से पहले बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद खराब थी। उस समय छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी लोगों को राज्य से बाहर जाना पड़ता था। ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में न तो डॉक्टर होते थे, न नर्स और न ही दवाओं की कोई व्यवस्था।


स्वास्थ्य केंद्र थे जर्जर, दवा की उपलब्धता लगभग शून्य

सीएम नीतीश कुमार ने शनिवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए लिखा,

“2005 से पहले के हालात बेहद चिंताजनक थे। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नाम मात्र के रह गए थे। ज्यादातर अस्पतालों के भवन जर्जर थे, कई जगहों पर तो अस्पताल केवल दो कमरों में चलते थे। वहाँ न डॉक्टर थे, न कोई स्वास्थ्यकर्मी, और दवा की उपलब्धता लगभग नगण्य थी।”


पीएमसीएच की स्थिति पर भी जताई थी नाराजगी

नीतीश कुमार ने अपने पुराने अनुभव को साझा करते हुए लिखा कि जब वे सांसद थे, तब उनकी माता जी बीमार पड़ी थीं। वे उन्हें इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के आईजीआईसी विभाग में लेकर आए थे, लेकिन वहाँ की स्थिति देखकर उन्हें गहरा अफसोस हुआ।

“उस समय पीएमसीएच में स्वच्छता, व्यवस्था और इलाज की स्थिति बहुत खराब थी। उस अनुभव ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि अगर आम लोगों को ऐसी कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, तो सुधार आवश्यक है।”


सरकार बनने के बाद किया सुधार

सीएम ने आगे लिखा कि 2005 में जब राज्य में उनकी सरकार बनी, तो सबसे पहले ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था सुधारने पर दिया गया।

“हमने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक नई व्यवस्था लागू की। डॉक्टरों की नियुक्ति, दवा की उपलब्धता और अस्पतालों के आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया।”


राज्य में स्वास्थ्य ढांचे को किया मजबूत

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार के प्रयासों से आज राज्य के अधिकतर अस्पतालों की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है। ग्रामीण इलाकों में पीएचसी और सीएचसी अब नियमित रूप से कार्यरत हैं, और सरकारी अस्पतालों में दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं

उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि हर नागरिक को नजदीक के अस्पताल में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा मिले।


 

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