नाथनगर के कोवाकौली वार्ड 10 में पानी के लिए हाहाकार, लोग बर्तन लेकर सड़क पर — ‘सरकार सुनो, हमें बस साफ पानी चाहिए’

भागलपुर। नाथनगर प्रखंड के कोवाकौली वार्ड संख्या 10 में इन दिनों सबसे बड़ी समस्या पानी की है। बरसों से नल और पेयजल योजना के नाम पर सिर्फ वादे होते रहे, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी सैकड़ों परिवार एक बाल्टी पानी के लिए जूझ रहे हैं। गर्मी और धूप में महिलाएं बर्तन लेकर सड़क किनारे लगी टोटी के पास लाइन में खड़ी नजर आती हैं, लेकिन पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं होती।

चापाकलों से निकलता गंदा पानी, नालियां बनी बीमारी की वजह

ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में लगे अधिकतर चापाकल अब गंदा और बदबूदार पानी दे रहे हैं। “इस पानी को पीना तो दूर, कपड़े धोने लायक भी नहीं है,” स्थानीय निवासी संजय मंडल ने कहा। नालियों की हालत भी बेहद खराब है। गंदगी और कीचड़ जमी रहती है, जिससे मच्छर और बदबू का प्रकोप बढ़ गया है। बच्चों में बुखार और त्वचा संबंधी बीमारियां आम हो गई हैं।

“सोमनाथ मंदिर से पानी भरने जाते हैं, वहां से भी भगा दिया जाता है”

वार्ड की महिला निवासी किरण देवी ने बताया कि “हम लोग आरती नंदन स्कूल के पास स्थित सोमनाथ मंदिर से पानी भरने जाते हैं, लेकिन वहां के लोगों ने मना कर दिया है। अब कहां जाएं? रोजाना बच्चों को आधा किलोमीटर दूर भेजना पड़ता है।”

प्रशासन से कई बार शिकायत, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं

ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं। पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक तक गुहार लगाई गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। “नेता चुनाव के वक्त आते हैं, वादा करते हैं कि नल जल योजना से हर घर में पानी आएगा, पर अब किसी को याद नहीं,” एक वृद्ध ग्रामीण ने कहा।

ग्रामीणों का अल्टीमेटम — “अब आंदोलन करेंगे”

गांव के लोगों ने अब जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। महिलाओं का कहना है कि अब उनकी सहनशक्ति जवाब दे चुकी है। “पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है, इससे बड़ी विडंबना क्या होगी,” उन्होंने कहा।

कई बार बनी योजना, पर पाइपलाइन तक नहीं पहुंची

जानकारी के मुताबिक, इस इलाके में जलापूर्ति के लिए दो बार नल-जल योजना स्वीकृत हुई, लेकिन पाइपलाइन का काम अधूरा रह गया। अधिकांश पाइप या तो टूट चुके हैं या कभी जोड़े ही नहीं गए। अब सिर्फ कुछ जर्जर चापाकल ही पानी का सहारा बने हुए हैं।

प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। लोगों ने कहा कि उन्हें नल जल योजना का लाभ मिले, नियमित जलापूर्ति बहाल की जाए और नालियों की सफाई की जाए।


 

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