हर साल होगा आयोजन, उप मुख्यमंत्री बोले – “कलाकार समाज की आत्मा हैं”
पटना, 24 सितंबर।बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए बुधवार को पटना के होटल मौर्या में ‘बिहार कला पुरस्कार 2025’ का भव्य आयोजन हुआ।
कार्यक्रम में 52 कलाकारों को सम्मानित किया गया, जिनमें 6 राष्ट्रीय पुरस्कार, 6 लाइफटाइम अचीवमेंट और दर्जनों नवोदित व स्थापित कलाकार शामिल रहे।
हर साल मिलेगा सम्मान: उप मुख्यमंत्री
उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अब यह आयोजन हर वर्ष होगा।
“कलाकार समाज की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं। विरासत और विकास को साथ लेकर चलना हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने बिहार की फिल्म नीति को देश में सर्वश्रेष्ठ बताया और कहा कि इससे कला व संस्कृति को नया आयाम मिलेगा।
विभागीय मंत्री मोतीलाल प्रसाद ने कहा कि तीन वर्षों से लंबित यह कार्यक्रम अब नियमित रूप से होगा।
वहीं विभागीय सचिव प्रणव कुमार ने कलाकारों को “भगवान के समान सृजनकर्ता” बताया और कहा कि राज्य सरकार हरसंभव सहयोग करेगी।
52 कलाकारों को अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार
- 18 नवोदित कलाकारों को 25,000 रुपये
- 22 स्थापित कलाकारों को 50,000 रुपये
- 6 राष्ट्रीय पुरस्कार
- 6 लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (1-1 लाख रुपये)
सभी को अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया।
लोकगायिका कल्पना पटवारी ने भिखारी ठाकुर का ‘बेटी बेचवा’ गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को भावुक कर दिया।
राष्ट्रीय पुरस्कार और लाइफटाइम अचीवमेंट विजेता
वर्ष 2022-23
- राष्ट्रीय पुरस्कार: स्व. चित्रा प्रसाद (प्रदर्श कला), पद्मश्री दुलारी देवी (चाक्षुष कला)
- लाइफटाइम अचीवमेंट: अनिल बिहारी (चाक्षुष कला), सुमन कुमार (प्रदर्श कला)
वर्ष 2023-24
- राष्ट्रीय पुरस्कार: कल्पना पटवारी (प्रदर्श कला), पद्मश्री बऊवा देवी (चाक्षुष कला)
- लाइफटाइम अचीवमेंट: पद्मश्री निर्मला देवी (चाक्षुष कला), भरत सिंह भारती (प्रदर्श कला)
वर्ष 2024-25
- राष्ट्रीय पुरस्कार: रत्नेश्वर प्रसाद (प्रदर्श कला), अशोक कुमार विश्वास (चाक्षुष कला)
- लाइफटाइम अचीवमेंट: शिवन पासवान (चाक्षुष कला), भरत शर्मा व्यास (प्रदर्श कला)
कार्यक्रम में रही खास मौजूदगी
समारोह में सांस्कृतिक कार्य निदेशक रूबी,
भारतीय नृत्य कला मंदिर की प्रशासी पदाधिकारी कहकशां,
पुरातत्व और संग्रहालय निदेशक कृष्ण कुमार,
संयुक्त सचिव महमूद आलम समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
इसके अलावा कला, संस्कृति और साहित्य जगत के विद्वान, कलाकार, विद्यार्थी और संस्कृति-प्रेमी दर्शक बड़ी संख्या में शामिल हुए और समारोह को खास बना दिया।


