पटना, 18 सितंबर।बिहार में खेती अब पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर आधुनिक कृषि यंत्रों के सहारे नई ऊँचाइयों को छू रही है। सरकारी योजनाओं और अनुदान की मदद से किसान बड़े पैमाने पर आधुनिक मशीनें खरीद रहे हैं। इससे उत्पादकता और किसानों की आय दोनों में बढ़ोतरी हो रही है।
कृषि रोड मैप से आया बड़ा बदलाव
- कृषि रोड मैप से पहले (2004-05 तक) केवल 48,956 कृषि यंत्र ही किसानों को मिले थे।
- कृषि रोड मैप के बाद अब तक किसानों को 28,23,364 कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
- परिणामस्वरूप, फार्म पावर उपलब्धता 2004-05 में 1 किलोवाट/हेक्टेयर से कम थी, जो बढ़कर 2022-23 में 3.56 किलोवाट/हेक्टेयर तक पहुँच गई है।
छोटे किसानों के लिए राहत – भाड़े पर भी मिलेंगे कृषि यंत्र
जिन किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर है, वे भी अब आधुनिक यंत्रों से खेती कर सकेंगे।
- कस्टम हायरिंग सेंटर
- फार्म मशीनरी बैंक
- फसल अवशेष प्रबंधन हेतु स्पेशल कस्टम हायरिंग सेंटर
इन माध्यमों से किसान भाड़े पर कृषि यंत्र लेकर खेतों में काम कर सकते हैं।
12 जिलों में मॉडल कस्टम हायरिंग सेंटर
एसएमएएम योजना (2025-26) के तहत 12 जिलों में मॉडल कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित होंगे:
📍 कैमूर, पटना, नवादा, गया, गोपालगंज, पूर्वी चम्पारण, समस्तीपुर, लखीसराय, जमुई, बांका, मधेपुरा और किशनगंज।
बाकी 26 जिलों में भी आधुनिक कृषि यंत्र भाड़े पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
किन-किन यंत्रों पर मिल रहा है अनुदान?
वित्तीय वर्ष 2025-26 में किसानों को इन यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है:
- छोटे कृषि यंत्र
- फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित यंत्र
- जुताई, बुआई, कटाई एवं थ्रेसिंग यंत्र
- पोस्ट हार्वेस्ट और उद्यानिकी से संबंधित यंत्र
यह खबर दिखाती है कि कैसे सरकारी मदद से निम्न आय वर्ग के किसान भी आधुनिक खेती का हिस्सा बन रहे हैं और बिहार में कृषि क्रांति की नई तस्वीर सामने आ रही है।


