1751090445551 1
WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें

मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना बनी आत्मनिर्भरता का इंजन, अब तक 45,000 से अधिक युवाओं को मिला लाभ

पटना, 28 जून।बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना ने हजारों ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। योजना के तहत अब तक 45,000 से अधिक युवाओं ने वाहन खरीदकर स्व-रोजगार की राह पकड़ी है। यह पहल राज्य के ग्रामीण परिवहन नेटवर्क को मजबूत करने के साथ-साथ समाज के कमजोर वर्गों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम बनकर उभरी है।


11वां चरण: आवेदन और लाभ वितरण तेज

  • जून 2024 से अब तक योजना के 11वें चरण में
    • 3,500+ युवा लाभ के लिए आगे आए
    • इनमें 900 लाभार्थी पहले ही वाहन खरीद चुके हैं
    • शेष के लिए अनुदान प्रक्रिया जारी

परिवहन विभाग के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के युवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।


2018 से अब तक: 45,000 वाहनों की खरीद पूरी

  • योजना का शुभारंभ: वर्ष 2018
  • कुल लक्ष्य: 55,000 वाहन
  • अब तक खरीदे गए वाहन: 45,000+
  • शेष युवाओं को भी जल्द मिलेगा लाभ

ई-रिक्शा और यात्री वाहनों पर अनुदान

योजना के तहत प्रति पंचायत से चयनित लाभार्थियों को निम्नलिखित आर्थिक सहायता दी जाती है:

  • SC/ST वर्ग: 4 लाभुक
  • अत्यंत पिछड़ा वर्ग: 3 लाभुक
  • अनुदान राशि:
    • वाहन खरीद मूल्य का 50%
    • अधिकतम ₹1 लाख
    • ई-रिक्शा हेतु अधिकतम ₹70,000
  • राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर
  • कोविड-19 के दौरान एम्बुलेंस पर ₹2 लाख तक का अनुदान

ग्रामीण संपर्क और आत्मनिर्भरता पर फोकस

परिवहन विभाग के सचिव डॉ. संदीप कुमार आर. पुडकलकट्टी ने कहा:

“यह योजना सिर्फ परिवहन सुविधा नहीं, बल्कि ग्रामीणों के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता का माध्यम बन चुकी है। प्रखंड और जिला मुख्यालयों से गांवों की कनेक्टिविटी भी मजबूत हो रही है।”

विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर पंचायत में योग्य लाभार्थियों को योजना का लाभ मिले और किसी भी पात्र व्यक्ति को वंचित न रहना पड़े।


गांव-गांव पहुंचेगा रोजगार का पहिया

मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के जरिए न केवल रोजगार का सृजन हो रहा है बल्कि गांवों को शहरों से जोड़ने वाली लाइफ़लाइन भी मजबूत हो रही है। बिहार का यह मॉडल अब सामाजिक न्याय और आर्थिक अवसरों का उदाहरण बनता जा रहा है।