Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

35 साल पहले जहां की बूट पॉलिश…उसी रेलवे स्टेशन के बने अधीक्षक…जानिए गजे सिंह की सफलता की कहानी

ByLuv Kush

जनवरी 21, 2025
IMG 9857

कहते हैं कि मेहनत कभी जाया नहीं जाती है। तमाम असफलताओं के बाद भी अगर आप जी-जान से अपने लक्ष्य को पाने के लिए जुटे रहें तो सफलता एक ना एक दिन जरूर मिलती है। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बता रहे हैं जो सभी के लिए प्रेरणादायी है। जिस रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर कभी गजे सिंह जूता पॉलिश करते थे आज उसी रेलवे स्टेशन के अधीक्षक बन गये हैं। गरीबी की मार झेलते हुए जहां उन्होंने बूट पॉलिश की आज उसी स्टेशन के वो रेलवे अधिकारी बन चुके हैं।

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष और सेना में सेवा दे चुके रिटायर मेजर जनरल आलोक राज ने एक बहुत प्रेरणा भरी कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की है। यह कहानी गज्जू उर्फ गजे सिंह की है जो संघर्षों से जूझते हुए सफलता के मुकाम पर पहुंचे। रेलवे में नौकरी की सफलता से पहले उन्हें रोजगार की तलाश करते हुए लगातार कई असफलताओं का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और अपने मेहनत के बल उन्होंने ये मुकाम हासिल किया।

35 साल पहले रेलवे स्टेशन पर किया शू पॉलिश

रिपोर्ट के अनुसार गजे सिंह राजस्थान के ब्यावर रेलवे स्टेशन के अधीक्षक बने हैं और 35 साल पहले इसी रेलवे स्टेशन पर वह जूते पॉलिश करने का काम करते थे। तब उन्हें गज्जू के नाम से लोग जानते थे। 8 भाई-बहन वाले परिवार में गजे सिंह दूसरे नंबर पर आते हैं। परिवार में हाईस्कूल पास करने वाले वो पहले शख्स हैं। उनके पिता ऑटो चलाते थे। जब गजे सिंह ने 10वीं की परीक्षा पास की तो उनके पिता ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटी थी। गजे को भी अपनी शिक्षा की ताकत और जरूरत का अहसास हुआ। उन्होंने खुद बीए, एमए और बीएड करने के साथ अपने भाई-बहनों को भी पढ़ाया।

किताब खरीदने के लिए नहीं थे पैसे

गज्जू उर्फ गजे सिंह की बचपन की कहानी बेहद मार्मिक होने के साथ प्रेरणादायी भी है। बचपन में किताबें खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे तो वह अपने बचपन के दोस्त मुरली के साथ मिलकर किताब खरीदते और उसे फाड़कर दो टुकड़े करने के बाद बारी-बारी से पढ़ा करते थे। वह ब्यावर में रेलवे फाटक के पास जिस इलाके में रहते थे वहां अवैध शराब बेचना और चोरी जैसी घटनाएं होती रहती थीं लेकिन उन्होंने अपने ऊपर उसका असर नहीं होने दिया। परिवार का खर्च चलाने के लिए स्कूल से आने के बाद गज्जू अन्य बच्चों के साथ बूट पॉलिश की डिब्बी और ब्रश लेकर रेलवे स्टेशन पहुंच जाते थे और हर रोज लोगों के बूट पॉलिश करते थे। जिससे उन्हें हर दिन 20 से 30 रुपये की कमाई हो जाती थी। गजे सिंह ने बूट पॉलिश के साथ बैंड वालों के साथ झुनझुना बजाने का काम भी किया जिसमें उन्हें 50 रुपये मिलते थे। साथ ही बारात में कंधे पर लाइट उठाकर चलने का काम भी किया। आज अपनी कड़ी मेहनत के बल पर गजे सिंह ने वो मुकाम हासिल कर लिया है जो लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायी है।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading