IMG 4459
WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें

बिहारशरीफ, नालंदा | 27 मई 2025 – बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के एक महत्वपूर्ण मामले में 18 साल बाद न्याय की गूंज सुनाई दी है। नालंदा जिले के बिहारशरीफ में 2007 में रिश्वत लेते पकड़े गए पूर्व उत्पाद निरीक्षक विजय कुमार चौरसिया को निगरानी की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए एक साल की सश्रम कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

निगरानी अदालत के विशेष न्यायाधीश मो. रुस्तम ने सोमवार, 26 मई 2025 को यह फैसला सुनाया। यह सजा उन सरकारी अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है जो अपने पद का दुरुपयोग करते हैं।

2007 में रंगे हाथों हुई थी गिरफ्तारी

यह मामला तब सामने आया जब एक शराब दुकान के संचालक राजीव रंजन ने निगरानी ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई कि विजय कुमार चौरसिया ने दुकान के संचालन के लिए 5,000 रुपये की रिश्वत की मांग की थी। निगरानी विभाग ने योजना बनाकर चौरसिया को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया।

गिरफ्तारी के बाद उनके किराए के मकान की तलाशी में ₹3,29,806 नकद और एक लाइसेंसी पिस्तौल बरामद की गई थी, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई। इतनी बड़ी नकदी की वैधता पर सवाल खड़े हुए।

18 साल लंबी न्यायिक प्रक्रिया

निगरानी ब्यूरो ने मामले की जांच पूरी कर समय पर आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद कोर्ट में लगभग 18 वर्षों तक चली सुनवाई के बाद विजय कुमार चौरसिया पर लगे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप सिद्ध हो गए।

कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की दो धाराओं के तहत प्रत्येक में एक-एक साल की सजा और पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना सुनाया। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी, यानी कुल मिलाकर उन्हें एक साल की जेल भुगतनी होगी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश

इस निर्णय को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कानूनी सफलता माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, जो पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध धन कमाने में लगे हैं।

जनता और प्रशासनिक हलकों में इस फैसले को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है। यह मामला यह भी दिखाता है कि भले ही न्याय में देर हो, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।