केले की फसल में लगने वाला फफूंदजनित रोग है पीला सिगाटोका

पटना, 18 सितंबर।कृषि विभाग ने किसानों को केले की फसल में लगने वाले फफूंदजनित रोग “पीला सिगाटोका” से बचाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस रोग के लक्षण पत्तों पर हल्के पीले दाग या धारियों के रूप में दिखते हैं, जो धीरे-धीरे भूरे और कत्थई रंग के बड़े धब्बों में बदल जाते हैं। इससे केले की उपज और किसानों की आय पर प्रतिकूल असर पड़ता है।


विभाग की सलाह

  • पीला सिगाटोका से बचाव के लिए प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
  • खेत को खरपतवार मुक्त और अतिरिक्त पानी से सुरक्षित रखें।
  • मिट्टी उपचार हेतु 1 किलो ट्राइकोडरमा विरिड + 25 किलो गोबर खाद प्रति एकड़ मिलाकर प्रयोग करें।

बिहार में केले की खेती का बढ़ता रकबा

  • वर्ष 2004-05 में खेती का रकबा : 27,200 हेक्टेयर
  • वर्ष 2022-23 में खेती का रकबा : 42,900 हेक्टेयर
  • उत्पादन : 5.45 लाख मीट्रिक टन → 19.22 लाख मीट्रिक टन
  • उत्पादकता : 20 मीट्रिक टन/हेक्टेयर → 45 मीट्रिक टन/हेक्टेयर

यानी 18 वर्षों में रकबे में 58%, उत्पादन में 261% और उत्पादकता में 125% की वृद्धि दर्ज की गई है।


टिश्यू कल्चर तकनीक से मिली नई ऊँचाई

राज्य सरकार के कृषि रोड मैप और फल विकास योजना के तहत टिश्यू कल्चर तकनीक ने किसानों को नई दिशा दी है।

  • जी-9, मालभोग और चीनिया जैसे किस्मों के रोग-मुक्त पौधों ने उपज बढ़ाई।
  • टिश्यू कल्चर केले की खेती पर सरकार देती है 50% अनुदान (62,500 रु./हेक्टेयर)
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3,624 किसान इस योजना से लाभान्वित हुए।

 

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