जहां बहता था नाला, वहां खिला हरियाली का गुलशन: राजधानी वाटिका बनी पटना की पहचान

• कचरा डंपिंग जोन से शहर के सबसे सुंदर पार्क तक का सफर

• 2005 में गिने-चुने पार्क, 2025 में राजधानी में 110 हरित स्थल
• प्रवासी पक्षियों का बसेरा, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक का पसंदीदा ठिकाना

पटना, 31 जुलाई | कभी बदबू और गंदगी के लिए कुख्यात रहा क्षेत्र, अब ‘राजधानी वाटिका’ यानी पटना का इको पार्क बनकर शहर की हरित पहचान बन गया है। जहां पहले नाला बहता था और कचरे का अंबार था, वहां अब गुलाबों की महक और बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती है। यह बदलाव बिहार के वन विभाग और राज्य सरकार की हरित योजना का प्रमाण है, जिसने बीते दो दशकों में शहरी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया।


110 पार्कों से बदली शहर की फिजा

वर्ष 2005 तक पटना में केवल कुछ ही पार्क थे, लेकिन 2025 आते-आते यह संख्या 110 तक पहुंच चुकी है। ये पार्क केवल हरियाली का प्रतीक नहीं, बल्कि शहरवासियों की जीवनशैली में परिवर्तन के केंद्र बन गए हैं।
यहां लगे पौधे जैसे – पाटली, गोल्डमोहर, स्वर्ण चंपा, अड़हुल, रक्त चंदन, अमलतास, चाइनिज पाम, फौक्स्टेल पाम आदि – शहरी जैव विविधता को समृद्ध करते हैं।


राजधानी वाटिका: मनोरंजन और स्वास्थ्य का केंद्र

राज्य का पहला आधुनिक पार्क, जिसे आम लोग इको पार्क कहते हैं, हर वर्ग के लिए सुसज्जित है।
यहां उपलब्ध हैं:

  • अत्याधुनिक झूले: आर्क स्विंग, रोलर कोस्टर राइड, स्काई वॉक
  • जिम सुविधाएं – महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग
  • बोटिंग, ग्रह-नक्षत्र गार्डन, कैफेटेरिया, फाउंटेन शो
  • स्वच्छ पेयजल, आधुनिक शौचालय और कैंटीन
  • ग्राउंड – सामाजिक आयोजनों जैसे किटी पार्टी आदि के लिए उपयुक्त

सर्दियों में दिखती है असली खूबसूरती

ठंड के मौसम में यह पार्क गुलाबों की घाटी बन जाता है।
– रंग-बिरंगे फूल, धूप में खेलते बच्चे, टहलते बुजुर्ग –
एक ऐसा सामूहिक अनुभव बनाते हैं, जो पटना जैसे शहर में पहले दुर्लभ था।
हर दिन हजारों लोग यहां सैर, योग और मानसिक शांति के लिए जुटते हैं।


प्रवासी पक्षियों की पनाहगाह: राजधानी जलाशय

इको पार्क से सटे राजधानी जलाशय ने प्राकृतिक संतुलन का एक और उदाहरण पेश किया है।
हर साल सर्दियों में यहां 30 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • लालसर, कांब डक, ब्लैक काइट, एशियन कोयल, ग्रे हॉर्नबिल
    इनकी चहचहाहट से पूरा सचिवालय परिसर जीवंत हो उठता है।

परिवर्तन जो प्रेरणा बना

राजधानी वाटिका आज केवल एक पार्क नहीं, बल्कि शहर के पर्यावरणीय पुनर्जागरण की प्रतीक बन चुकी है।

  • यह बदलाव नाला से वाटिका तक की यात्रा है।
  • यह बदलाव कचरे से खूबसूरती की ओर बढ़ा कदम है।
  • और यह बदलाव दिखाता है कि जब इच्छा शक्ति हो, तो असंभव कुछ नहीं

 

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  • Kumar Aditya

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