आज का पंचांग (6 अक्टूबर 2025, सोमवार): शरद पूर्णिमा आज, चंद्रमा की रोशनी में रखें खीर, जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल

पटना, 6 अक्टूबर 2025।आज सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आज शरद पूर्णिमा है — वह रात जब माना जाता है कि चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और धरती पर अमृत की वर्षा करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आज अश्विन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर 12:24 बजे तक रहेगी, उसके बाद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी। इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

🌕 आज का विशेष योग और तिथि

  • तिथि: चतुर्दशी दोपहर 12:24 बजे तक, उसके बाद पूर्णिमा
  • नक्षत्र: पूर्व भाद्रपद
  • वार: सोमवार
  • पक्ष: शुक्ल पक्ष
  • मास: अश्विन
  • सूर्योदय: सुबह 5:49 बजे (लगभग)
  • सूर्यास्त: शाम 5:33 बजे (लगभग)
  • राहुकाल: सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक — इस अवधि में कोई शुभ कार्य न करें
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:32 बजे तक — शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

🌙 शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ धरती पर अमृत बरसाता है। इसी कारण लोग इस रात में खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं, जिसे “अमृत खीर” कहा जाता है। माना जाता है कि इस खीर का सेवन करने से मनुष्य को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

यह दिन लक्ष्मी पूजा और चंद्र अर्घ्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। घरों में मां लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रज क्षेत्र में रास लीला का आयोजन होता है और जगह-जगह धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

🕉️ क्या करें और क्या न करें

  • आज के दिन चंद्रमा को दूध-मिश्रित जल से अर्घ्य दें।
  • खीर या चावल के व्यंजन को चांदनी में रखकर अगली सुबह ग्रहण करें।
  • राहुकाल में यात्रा या नया कार्य शुरू करने से बचें।
  • जरूरतमंदों को सफेद वस्त्र, मिठाई और चावल का दान शुभ माना जाता है।

📅 आज का सारांश

तत्व विवरण
तिथि चतुर्दशी दोपहर 12:24 तक, फिर पूर्णिमा
वार सोमवार
विशेष अवसर शरद पूर्णिमा, लक्ष्मी पूजन
शुभ मुहूर्त 11:44 AM से 12:32 PM
राहुकाल 7:30 AM से 9:00 AM
चंद्र दर्शन रात 8:10 बजे से सर्वश्रेष्ठ

आज की रात का नज़ारा बेहद खास होगा। पूर्ण चंद्रमा की रजत किरणों में नहाई धरती पर भक्त श्रद्धा से भरे मन से अमृत तुल्य खीर रखेंगे — मान्यता है कि यह वही क्षण होता है जब प्रकृति, स्वास्थ्य और अध्यात्म एक साथ संतुलन में आते हैं।


 

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