चांद पर पानी है या नहीं, पुख्ता सबूत देगा उपग्रह

वाशिंगटन डीसी, एजेंसी। अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने केनेडी स्पेस सेंटर से चांद पर पानी का पुख्ता सबूत जुटाने के लिए विशेष सैटेलाइट लॉन्च किया।

स्पेसएक्स के फॉल्कन 9 रॉकेट की मदद से भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह 0547 बजे लूनर ट्रेलब्लेजर को अंतरिक्ष में भेजा गया। मिशन में एथेना नाम का एक मून लैंडर भी है, जो छह मार्च को चांद के दक्षिणी हिस्से में उतरेगा।

क्या है मिशन में

एथेना लैंडर को इंट्यूटिव मशीन्स (आईएम) कंपनी ने बनाया है और वह दूसरी बार चांद पर अपना लैंडर उतारने की कोशिश में है। इस लैंडर के साथ दो खास रोबोट भेजे गए हैं। पहला, एमएपीपी रोवर चांद पर 4 जी नेटवर्क की जांच करेगा। दूसरा, ग्रेस हॉपर रोबो थ्रस्टर्स की मदद से कूदकर चंद्रमा की सतह को देखेगा। वहीं प्राइम-1 नामक उपकरण चंद्रमा की सतह से बर्फ और अन्य तत्वों के नमूने जुटाएगा।

10 दिन तक काम करेगा 

मिशन की कुल लागत 6.25 करोड़ डॉलर (लगभग 550 करोड़ रुपये) है। इसके साथ ओडिन और चिमेरा जीईओ 1 नामक अन्य यान भी हैं। यह 10 दिन तक चंद्रमा पर काम करेगा।

चंद्रयान-1 ने खोजा था

भारत के चंद्रयान-1 मिशन ने 2009 में चंद्रमा की सतह पर पानी के निशान देखे थे। लेकिन तब पानी के स्थानों को चिन्हित करने के लिए स्पेक्ट्रल रेंज नहीं थी। लूनार ट्रेलब्लेजर यही काम देखेगा।

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