बिहार की सियासत में इन दिनों एक दिलचस्प ट्रेंड देखने को मिल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के चुनावी वादों को ही अमल में लाकर जनता को साधने की रणनीति पर काम कर रही है। हाल के फैसले इसी ओर इशारा करते हैं – फिर चाहे बात हो ‘युवा आयोग’ की या ‘फ्री बिजली’ की।
युवा आयोग का गठन: तेजस्वी का सपना, नीतीश का अमल
तेजस्वी यादव ने चुनावी वादों में एक मजबूत ‘युवा आयोग’ बनाने की बात कही थी। अब, चुनाव से पहले ही 8 जुलाई 2025 को नीतीश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में बिहार युवा आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यानी तेजस्वी का वादा, लेकिन क्रेडिट सरकार ले गई।
फ्री बिजली योजना: 200 नहीं, तो 100 यूनिट ही सही
तेजस्वी यादव ने अपने वादों में हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया था। अब नीतीश सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए 100 यूनिट फ्री बिजली की योजना तैयार कर ली है। ऊर्जा विभाग ने इसका प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था, जिसे सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। अब बस कैबिनेट की मुहर बाकी है।
महिलाओं को आरक्षण और डोमिसाइल नीति का ऐलान
8 जुलाई को ही बिहार सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया सरकारी नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 35% आरक्षण देने का। यह कदम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही यह तेजस्वी यादव की ‘बिहार डोमिसाइल नीति’ के वादे को भी अप्रासंगिक बनाता है।
चुनावी रणनीति या जनता से जुड़ाव?
इन सभी फैसलों से साफ है कि नीतीश सरकार विपक्ष के लोकप्रिय मुद्दों को पहले ही लागू कर विपक्ष की धार कुंद करने में जुट गई है। यह एक रणनीतिक कदम भी हो सकता है जिससे चुनावी लाभ उठाया जा सके।


