भागलपुर।बिहार में खेलों के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। राज्य सरकार के खेल को बढ़ावा देने के प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। पहले जिस बिहार की पहचान शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में होती थी, अब वही बिहार खेलों में भी अपनी छाप छोड़ रहा है।
हाल के वर्षों में सरकार ने ग्रामीण स्तर पर खेल मैदानों का निर्माण, खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति और प्रतियोगिताओं के आयोजन पर विशेष ध्यान दिया। इन प्रयासों का नतीजा अब दिखने लगा है — गांव-गांव के बच्चे खेल के मैदान में उतरकर अपना भविष्य गढ़ रहे हैं।
भागलपुर के खिलाड़ियों ने रचा इतिहास
हाल ही में पटना में आयोजित राज्य स्तरीय रग्बी प्रतियोगिता में भागलपुर जिले के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। प्रतियोगिता में भागलपुर की टीम ने शुरुआत से ही दमदार खेल दिखाया और फाइनल मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वी टीम को मात दी।
टीम के कोच ने बताया कि खिलाड़ियों ने सीमित संसाधनों के बावजूद कड़ी मेहनत की। “यह जीत सिर्फ भागलपुर की नहीं, बल्कि पूरे बिहार की है,” उन्होंने कहा।
गांवों में बढ़ी खेलों के प्रति रुचि
यह उपलब्धि सिर्फ एक मेडल नहीं, बल्कि उस बदलते माहौल की झलक है जो अब बिहार के गांवों में देखने को मिल रही है। पहले जहां बच्चे खाली समय में पढ़ाई या मजदूरी में जुट जाते थे, अब वही बच्चे खेल-कूद में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
गांवों के स्कूलों में खेल सामग्री पहुंचाई जा रही है। पंचायत स्तर पर टूर्नामेंट आयोजित हो रहे हैं। कई जिलों में खेल महोत्सव की शुरुआत की गई है ताकि नई प्रतिभाओं को पहचाना जा सके।
सरकार के कदम और नई पहलें
बिहार सरकार का कहना है कि आने वाले समय में राज्य के हर जिले में आधुनिक खेल परिसर बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री खेल विकास योजना के तहत खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता, कोचिंग, और प्रशिक्षण सुविधाएं दी जा रही हैं।
राज्य खेल विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि बिहार के हर जिले से राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार हों। खेल अब सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि करियर और रोजगार का जरिया बन रहा है।”
सम्मान और प्रोत्साहन से बढ़ा हौसला
पटना में आयोजित समारोह में विजेता खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर खिलाड़ियों के माता-पिता की आंखों में गर्व और खुशी झलक रही थी। भागलपुर के इन युवाओं की सफलता ने जिले के अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा का काम किया है।
स्थानीय खेल प्रेमी बताते हैं कि यह शुरुआत है — आने वाले वर्षों में बिहार के खिलाड़ी न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाएंगे।


