सीट शेयरिंग पर फंसा पेंच: “क्या 2025 में फिर अकेले मैदान में उतरेंगे चिराग पासवान?”

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों में सीट शेयरिंग की जंग तेज हो गई है। एनडीए हो या महागठबंधन—दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर अब भी खींचतान जारी है। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की बढ़ती सीटों की मांग से मामला और उलझ गया है। सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग 2025 में फिर अकेले मैदान में उतर सकते हैं?


चिराग की बढ़ी मांग — “कम से कम 30-35 सीट चाहिए”

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सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के लिए 30 से 35 विधानसभा सीटों की मांग रखी है। 2024 लोकसभा चुनाव में एलजेपी (रामविलास) को 5 सीटों पर जीत मिलने के बाद चिराग अब विधानसभा में भी बड़ा दांव खेलना चाहते हैं। हालांकि एनडीए के भीतर सीटों के सीमित बंटवारे के कारण चिराग को मनाना बीजेपी के लिए चुनौती बन गया है।


2020 में अलग लड़े थे चुनाव

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार से अलग होकर चुनाव लड़ा था। उन्होंने खुद को “मोदी का हनुमान” बताया और जदयू के खिलाफ सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे।
हालांकि इस रणनीति से एनडीए को नुकसान हुआ। जदयू मात्र 43 सीटों पर सिमट गई, जबकि एलजेपी के 135 में से 134 उम्मीदवार हार गए। एलजेपी को उस चुनाव में 5.64% वोट शेयर मिला था।


BJP के बागी बने एलजेपी के उम्मीदवार

2020 में एलजेपी ने कई भाजपा बागी नेताओं को टिकट दिया था, जिससे एनडीए का वोट बैंक बंट गया। नीतीश कुमार उस वक्त चिराग पर नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाते रहे।


2024 में NDA में वापसी, 5 सीटों पर जीत

लोकसभा चुनाव 2024 में चिराग पासवान की एनडीए में वापसी हुई। बीजेपी ने उन्हें 5 सीटें दीं, और चिराग ने सभी पर जीत हासिल की। इससे वे दोबारा राजनीतिक शक्ति केंद्र के रूप में उभरे।


दिल्ली में चिराग को मनाने की कोशिशें जारी

सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े ने चिराग पासवान से मुलाकात की है।
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी चिराग को 22 विधानसभा सीटें, साथ में एक राज्यसभा और एक विधान परिषद सीट ऑफर कर सकती है।


मटिहानी सीट को लेकर जदयू और एलजेपी आमने-सामने

एनडीए में मटिहानी विधानसभा सीट को लेकर विवाद गहराया है। यह सीट 2020 में एलजेपी उम्मीदवार राजकुमार सिंह ने जीती थी, जो बाद में जदयू में शामिल हो गए।
अब जदयू का कहना है कि “हमारा विधायक सीटिंग है, इसलिए टिकट हमारा होना चाहिए।”
वहीं चिराग का तर्क है — “हमारे टिकट पर जीत हुई थी, इसलिए सीट हमारी होनी चाहिए।”


एलजेपी का वोट शेयर लगातार स्थिर

बिहार की कुल आबादी में पासवान समुदाय करीब 5.3% है।

  • 2024 लोकसभा चुनाव: 6.6% वोट शेयर, 5 सीटें
  • 2020 विधानसभा चुनाव: 5.64% वोट, 1 सीट
  • 2015 चुनाव: 2 सीट
  • 2010 चुनाव: 3 सीट
  • 2005 (फरवरी) चुनाव: 29 सीटें

सत्यानंद शर्मा की लोक जनशक्ति पार्टी सेक्युलर का भी विलय एलजेपी (रामविलास) में हो चुका है। उनका कहना है —

“हमारा वर्तमान वोट शेयर 8% से अधिक है। सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत चल रही है और जल्द फाइनल हो जाएगी।”
सत्यानंद शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव, एलजेपी (रामविलास)


जदयू का दावा — “एनडीए में कोई विवाद नहीं”

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है।

“चिराग पासवान नरेंद्र मोदी कैबिनेट के सदस्य हैं और युवाओं के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं। जीतन राम मांझी और चिराग दोनों बड़े दलित नेता हैं, जिनकी मौजूदगी से एनडीए की ताकत बढ़ी है।”


“2025 में गेम चेंजर होंगे चिराग पासवान”

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि

“चिराग पासवान 2025 में गेम चेंजर की भूमिका में होंगे। अगर वे एनडीए में रहते हैं तो एनडीए को लैंडस्लाइड जीत मिलेगी। लेकिन अगर वे 2020 की तरह अलग राह अपनाते हैं, तो एनडीए की राहें मुश्किल हो जाएंगी।”

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