दिल्ली में चिराग के घर पहुंचे बीजेपी मंत्री, मां से की 10 मिनट बातचीत; एलजेपीआर की पटना में आपात बैठक जारी
नई दिल्ली/पटना।बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में सीट शेयरिंग पर तनाव खुलकर सामने आने लगा है। गठबंधन में दरार की आशंका को देखते हुए बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरू कर दी है। इसी कड़ी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को चिराग पासवान से बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी गई, लेकिन जब वह उनके घर पहुंचे — चिराग वहां मौजूद ही नहीं थे।
चिराग से नहीं, मां से की मुलाकात
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने लोजपा (रामविलास) को 22 सीटों का ऑफर दिया है, जबकि चिराग पासवान कुछ खास सीटों को लेकर अड़े हुए हैं। ऐसे में उन्हें मनाने के लिए नित्यानंद राय गुरुवार को अचानक चिराग के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचे।
लेकिन चिराग पासवान उस वक्त अपने मंत्रालय के लिए निकल चुके थे। नित्यानंद राय ने करीब 10-15 मिनट तक चिराग की मां से बातचीत की और फिर मीडिया से कहा —
“हम आशीर्वाद लेने आए थे। चिराग नाराज नहीं हैं। कौन कह रहा है कि वो नाराज हैं?”
— नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री
तनाव के बीच बोले चिराग — बातचीत जारी है
सीट बंटवारे पर पूछे गए सवाल पर चिराग पासवान ने कहा,
“बातचीत जारी है। मैं मंत्री भी हूं, तो मंत्रालय की जिम्मेदारी भी निभानी है। अभी उसी सिलसिले में जा रहा हूं।”
भले ही उन्होंने नाराजगी की बातों पर सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन उनके चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था।
पटना में एलजेपीआर की आपात बैठक
इधर पटना में लोजपा (रामविलास) ने आपात बैठक बुलाई है। बैठक पार्टी कार्यालय में चल रही है, जिसकी अध्यक्षता अरुण भारती कर रहे हैं। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी, सांसद शांभवी चौधरी, संसदीय बोर्ड अध्यक्ष हुलास पांडेय समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं।
बैठक का मुख्य एजेंडा सीट शेयरिंग पर रणनीति तय करना बताया जा रहा है।
क्या हैं चिराग की मांगें?
पार्टी सूत्रों के अनुसार, धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े के साथ हाल की बैठक में चिराग पासवान ने 25 विधानसभा सीटों की सूची सौंपी थी।
इसके साथ ही उन्होंने एक विधान परिषद और एक राज्यसभा सीट की भी मांग की है।
सूत्रों के मुताबिक, एलजेपीआर ने न केवल अपनी लोकसभा सीटों की विधानसभा पर दावा किया है, बल्कि बीजेपी, जेडीयू और हम (HAM) की सीटों पर भी दावेदारी जताई है।
बीजेपी के लिए बढ़ी मुश्किलें
एनडीए में सभी सहयोगी दलों — जेडीयू, हम और लोजपा(आर) — ने अपनी-अपनी मांगें रख दी हैं। अब बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी को साथ रखकर सीटों का फॉर्मूला तय करना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह गतिरोध लंबा चला, तो बिहार चुनाव से पहले एनडीए के अंदरूनी समीकरणों पर असर पड़ सकता है।


