पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों के ऐलान के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर है। पटना से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठकों का दौर चल रहा है। बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान एनडीए के घटक दलों के नेताओं से एक-एक करके मुलाकात कर रहे हैं। इसी बीच, जदयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लेते हुए सीट बंटवारे की पूरी जिम्मेदारी बीजेपी को सौंप दी है।
नीतीश कुमार की नई रणनीति
2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के बीच सीट बंटवारे को लेकर तीखा विवाद हुआ था। चिराग पासवान के अलग होकर 115 सीटों पर उम्मीदवार उतारने से जदयू को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था — पार्टी सिर्फ 43 सीटें जीत पाई थी।
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे के अनुसार, “नीतीश कुमार ने इस बार उसी अनुभव से सबक लेते हुए खुद को सीट बंटवारे की प्रक्रिया से अलग रखा है। उन्होंने बीजेपी को यह जिम्मेदारी देकर विवाद से बचने की रणनीति अपनाई है।”
2020 में कैसा था समीकरण?
2020 में 243 विधानसभा सीटों में से जदयू को 122 सीटें मिली थीं (जिनमें से 7 हम को दी गई थीं), जबकि बीजेपी को 121 सीटें मिलीं (जिनमें से 11 वीआईपी को दी गई थीं)। इस बार एनडीए के भीतर सीट बंटवारे का फॉर्मूला बदला जा सकता है।
बीजेपी के जिम्मे पूरा बंटवारा
जदयू के केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि बीजेपी सभी घटक दलों से बातचीत करेगी और फिर जदयू से अंतिम निर्णय होगा। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार किसी भी विवाद से दूर रहना चाहते हैं।
संभावित फॉर्मूला
सूत्रों के अनुसार, एनडीए में सीट बंटवारे का प्रस्तावित फॉर्मूला इस प्रकार हो सकता है:
- जदयू: 103 सीटें
- बीजेपी: 102 सीटें
- हम (जीतन राम मांझी): 7-8 सीटें
- राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा): 6-7 सीटें
- लोजपा (रामविलास): शेष सीटें
कुछ सीटों पर बीजेपी अपने उम्मीदवार भी उतार सकती है।
चिराग पासवान की बढ़ी मांग
चिराग पासवान लोकसभा चुनाव 2024 के फॉर्मूले के आधार पर अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। उस चुनाव में उनकी पार्टी को 5 सीटें मिली थीं और सभी पर जीत दर्ज की थी। हालांकि कुछ मौजूदा सीटों पर अब भी पेंच फंसा हुआ है।
बीजेपी का दावा: “जल्द बनेगी सहमति”
बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान से मुलाकात कर ली है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, “सभी घटक दलों से बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है और दो दिनों में अंतिम फैसला आ सकता है।”
जदयू का लक्ष्य: 225 सीटें
जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा, “एनडीए में उत्साह का माहौल है। हाल के सम्मेलन में भारी भीड़ इसका सबूत है। हमारा लक्ष्य है — 2025 में 225 सीटें जीतकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में फिर से सरकार बनाना।”
विश्लेषण:
नीतीश कुमार का यह कदम राजनीतिक रूप से समझदारी भरा माना जा रहा है। उन्होंने बीजेपी को सीट बंटवारे की जिम्मेदारी देकर न केवल संभावित विवादों से खुद को दूर किया है, बल्कि गठबंधन की एकजुटता का संदेश भी दिया है। अब देखना यह होगा कि उनकी यह रणनीति एनडीए को कितना फायदा पहुंचाती है।


