सासाराम, 6 अगस्त 2025: बिहार के रोहतास जिले से एक बड़ा घोटाला सामने आया है जिसने जिला परिवहन कार्यालय (DTO) को सवालों के कटघरे में ला खड़ा किया है। डीटीओ कार्यालय में 2 करोड़ 30 लाख रुपए के गबन का खुलासा हुआ है। यह मामला उस वक्त सार्वजनिक हुआ जब ऑडिट रिपोर्ट में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए।
डीटीओ रामबाबू ने की पुष्टि, चार कर्मचारी नामजद
घोटाले की पुष्टि जिला परिवहन पदाधिकारी रामबाबू ने स्वयं की है। उन्होंने बताया कि 2021 से 2025 के बीच वसूल की गई एमवी टैक्स और ई-चालान की रकम को सरकारी खाते में जमा ही नहीं किया गया। घोटाले में ऑपरेटर, डाटा एंट्री कर्मी और प्रोग्रामर तक शामिल पाए गए हैं।
नामजद आरोपियों में शामिल:
- अजय कुमार सिंह – कर्मी
- अक्षय कुमार – कर्मी
- अनिल कुमार – डाटा एंट्री ऑपरेटर
- अनिल कुमार (प्रोग्रामर)
क्या बोले डीटीओ?
डीटीओ रामबाबू ने बताया:
“कर्मी अजय कुमार सिंह और अक्षय कुमार ने 1.75 करोड़ रुपए के मोटर व्हीकल टैक्स की वसूली की, लेकिन बैंक में जमा नहीं किया।
वहीं, डाटा एंट्री ऑपरेटर और प्रोग्रामर ने मिलकर 55 लाख रुपए के ई-चालान की राशि को भी गबन किया।”
डीटीओ ने बताया कि जब ऑडिट में यह मामला सामने आया, तो इन चारों के खिलाफ नगर थाना में केस दर्ज कराया गया। पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया।
पुलिस छानबीन शुरू, डीटीओ कार्यालय में मचा हड़कंप
मंगलवार को जब पुलिस की टीम डीटीओ कार्यालय पहुंची, तो वहां हड़कंप मच गया। कई कर्मी अपनी सीट छोड़कर बाहर निकलने लगे।
एसडीपीओ दिलीप कुमार ने स्वयं मामले की गंभीरता को देखते हुए छानबीन शुरू की और सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
उनका बयान:
“चारों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। जांच तेज कर दी गई है, दस्तावेजों की भी पड़ताल की जा रही है। जो भी दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
एमवी टैक्स और ई-चालान: क्या होता है ये?
🚗 एमवी टैक्स (Motor Vehicle Tax):
यह वाहन पंजीकरण के समय लिया जाने वाला राज्य सरकार का कर है। निजी या व्यावसायिक किसी भी प्रकार के वाहन पर यह टैक्स अनिवार्य होता है। डीटीओ कार्यालय में जमा होने वाले इस टैक्स का उपयोग राज्य के सड़क और परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर में किया जाता है।
💻 ई-चालान (E-Challan):
यातायात नियमों के उल्लंघन पर लगाए जाने वाले जुर्माने को डिजिटल तरीके से वसूलने की प्रक्रिया। ई-चालान SMS या डाक के माध्यम से वाहन स्वामी तक पहुंचाया जाता है, जिसे ऑनलाइन या डीटीओ कार्यालय में ऑफलाइन भरा जा सकता है।
अब उठ रहे ये सवाल:
- क्या इतने बड़े घोटाले में केवल चार कर्मचारी ही जिम्मेदार हैं?
- वसूली गई राशि कई महीनों तक बैंक में जमा क्यों नहीं हुई, क्या उच्च अधिकारियों की जानकारी में यह नहीं था?
- क्या यह एक संगठित भ्रष्टाचार का मामला है?
- क्या गबन की राशि की रिकवरी हो पाएगी, या यह पैसा अब गायब हो चुका?
सासाराम के डीटीओ कार्यालय में सामने आया यह घोटाला, बिहार की सरकारी व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है। जिस कार्यालय से लाखों वाहन मालिक रोज सेवाएं लेते हैं, वहां इस तरह की गड़बड़ी लोगों के विश्वास को तोड़ती है।
अब देखना होगा कि जांच के बाद बड़े अधिकारियों तक जिम्मेदारी पहुंचेगी या फिर मामला सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारियों तक सीमित रह जाएगा।


