पटना। बिहार में बिजली आपूर्ति को लेकर आने वाले वर्षों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। बरौनी थर्मल पावर स्टेशन में नई यूनिट लगाने की तैयारी अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। एनटीपीसी ने बंद पड़ी दो पुरानी इकाइयों की जगह 800 मेगावाट की अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल पावर यूनिट स्थापित करने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया है। उम्मीद है कि अगले चार साल के भीतर यहां से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।
पूरी बिजली बिहार को मिलेगी, 1000 MW की एक और यूनिट की भी संभावना
सूत्रों के अनुसार, यदि बरौनी में पर्याप्त भूमि उपलब्ध हो जाती है, तो यहां 1000 मेगावाट की एक और बड़ी पावर यूनिट लगाने की संभावना भी बन सकती है। यदि यह योजना आगे बढ़ती है तो यह बिहार की अब तक की सबसे बड़ी पावर यूनिट होगी।
विशेष बात यह है कि बरौनी से उत्पन्न होने वाली 100% बिजली बिहार को ही मिलेगी, जिससे राज्य में बिजली आपूर्ति और स्थिर तथा मजबूत होगी।
कुछ महीनों में नए पावर प्लांट का निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
बरौनी थर्मल प्लांट में पहले 250 MW की दो नई इकाइयां और 110 MW की दो पुरानी इकाइयों को आधुनिकीकरण कर चलाया जा रहा था। कुल उत्पादन करीब 720 MW था।
लेकिन 110 MW वाली दोनों पुरानी इकाइयों का निर्धारित जीवनकाल पूरा होने के बाद 31 मार्च 2024 को इन्हें बंद करना पड़ा।
इसके बाद एनटीपीसी ने निर्णय लिया कि इन पुरानी इकाइयों की जगह आधुनिक, अधिक क्षमता वाली अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक की यूनिट लगाई जाए, जिससे बिजली उत्पादन अधिक और लागत कम हो सके।
कितना आएगा खर्च?
सूत्र बताते हैं कि बिहार सरकार पहले ही 11,736 मेगावाट बिजली आपूर्ति का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर चुकी है।
नई 800 MW यूनिट पर लगभग 7,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक खर्च होने का अनुमान है। यह निवेश राज्य के बिजली उत्पादन क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश साबित हो सकता है।
अब परियोजना पर अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रालय के निर्णय का इंतजार है।


