पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रचार का सबसे चमकदार और चर्चा का केंद्र बन गया है—हेलिकॉप्टर चुनाव अभियान। जिस राज्य में कभी नेता बैलगाड़ी और साइकिल से गांव-गांव पहुंचते थे, वहीं अब हवाई प्रचार का शोर चरम पर है। अंदाजा लगाइए—इस चुनाव में हर दिन करीब 2.5 करोड़ रुपये सिर्फ हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड फ्लाइट पर खर्च हो रहे हैं।
पटना एयरपोर्ट बना चुनावी ‘कमांड सेंटर’
पटना एयरपोर्ट इन दिनों चुनावी मौसम में मुख्य ऑपरेशन हब में बदल चुका है।
- रोजाना 4–5 चार्टर्ड प्लेन यहां उतर रहे हैं
- बड़े नेता सीधे हेलिकॉप्टर से रैलियों के लिए रवाना हो रहे हैं
- कई पार्टियों ने एयरपोर्ट पर अपना मिनी-कैंप स्थापित कर दिया है
एक तरह से बिहार चुनाव का बड़ा हिस्सा अब आसमान में चल रहा है, ज़मीन पर सिर्फ भाषण देना बाकी रह जाता है।
हवा में उड़ता चुनाव—कौन सी पार्टी सबसे आगे?
सूत्रों के मुताबिक, हेलिकॉप्टर इस्तेमाल में सबसे आगे हैं—
- राष्ट्रीय पार्टियाँ (BJP, कांग्रेस) → सबसे बड़ा फ्लीट
- RJD और NDA के क्षेत्रीय घटक दल → लगातार हवाई रैलियाँ
- नवगठित दल और छोटे गठबंधन → सीमित लेकिन लगातार उड़ानें
मोर्चे पर आगे वही पार्टी है जो दिन में सबसे ज़्यादा हवाई सभाएँ कर पा रही है—क्योंकि एक हेलिकॉप्टर की औसत लागत ₹2–3 लाख प्रति घंटे तक जाती है, जबकि चार्टर्ड प्लेन की जगह-जगह लागत इससे भी ऊपर।
बिहार में हेलिकॉप्टर राजनीति का इतिहास
हेलिकॉप्टर राजनीति की जड़ें बिहार में नई नहीं हैं।
- 1957 विधानसभा चुनाव में पहली बार रामगढ़ के राजा कामाख्या नारायण सिंह ने रूस से दो हेलिकॉप्टर मंगवाकर प्रचार किया था।
- उस समय कांग्रेस में सिर्फ जवाहरलाल नेहरू ही हवाई यात्रा करते थे।
- बाद में राजा चंद्रचूड़ प्रसाद सिंह ने के.बी. सहाय के चुनाव प्रचार के लिए विमान की व्यवस्था की, लेकिन तकनीकी खराबी से योजना अधूरी रह गई।
तब से लेकर आज तक चुनाव प्रचार में हवाई दौड़ लगातार बढ़ी है—और अब 2025 का चुनाव तो जैसे पूर्ण रूप से एयर-बेस्ड कैंपेन पर टिका है।
बैलगाड़ी से हेलिकॉप्टर तक—बदली राजनीति की तस्वीर
बिहार की राजनीति का सफर अनोखा रहा है—
- कभी नेता बैलगाड़ी, पैदल और नाव से गांवों में जाते थे
- फिर दौर आया जीप और बसों का
- और अब प्रचार का नया रूप है हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड फ्लाइट्स
2025 के चुनाव ने यह साफ कर दिया है कि राजनीति अब जमीन से आसमान तक फैल चुकी है।
हवाई प्रचार न सिर्फ रफ्तार बढ़ाता है, बल्कि जनता के बीच संदेश भेजता है कि यह चुनाव कितना हाई-स्टेक और हाई-प्रोफाइल बन चुका है।


