पटना – बिहार की नीतीश सरकार हाल के दिनों में जिस तरह से योजनाओं और घोषणाओं को लागू कर रही है, उससे यह संकेत मिल रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष के पास जनता से करने के लिए कोई बड़ा वादा ही नहीं बचेगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सरकार की यह रणनीति विपक्ष के मेनिफेस्टो को लगभग खाली कागज बना सकती है।
तेजस्वी के वादों पर नीतीश की मुहर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो लंबे समय से अपने सुशासन और विकास मॉडल के लिए जाने जाते रहे हैं, अब विपक्षी नेता तेजस्वी यादव के चुनावी वादों को अपनाकर जनता को संदेश दे रहे हैं कि वे ही असली जननायक हैं।
- रोजगार: 2020 में तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियों का वादा किया था। नीतीश सरकार अब शिक्षकों, पुलिसकर्मियों और अन्य पदों पर बड़े पैमाने पर नियुक्तियां कर रही है।
- बिजली: तेजस्वी ने 200 यूनिट फ्री बिजली का वादा किया था। इसके जवाब में नीतीश सरकार ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की।
- युवा आयोग: तेजस्वी की घोषणा से पहले ही नीतीश कुमार ने आयोग का गठन कर दिया।
- पेंशन: वृद्ध, दिव्यांग और विधवाओं की पेंशन राशि को बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया गया, जिसकी मांग तेजस्वी ने की थी।
महिला सशक्तिकरण पर फोकस
महिलाओं के लिए तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहिन मान योजना’ के तहत ₹2500 मासिक कैश ट्रांसफर का वादा किया था। नीतीश सरकार ने इसे सीधे तौर पर लागू तो नहीं किया, लेकिन ‘मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना’ के जरिए महिलाओं को स्वरोजगार और आर्थिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इससे यह संदेश जा रहा है कि सरकार महिला कल्याण को लेकर गंभीर है।
रणनीति या जनकल्याण?
विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार की यह नीति महज कल्याणकारी कदम नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति भी है। विपक्ष के वादों को खुद पूरा कर वे जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता मजबूत कर रहे हैं। इससे विपक्ष की धार कुंद हो रही है और नीतीश यह दिखा पा रहे हैं कि विपक्ष केवल वादा करता है, जबकि वे उसे अमल में लाते हैं।
कैश ट्रांसफर स्कीम पर सबकी नजर
तेजस्वी यादव का महिलाओं को सीधा कैश ट्रांसफर (₹2500 मासिक) का वादा अभी तक लागू नहीं किया गया है। यदि नीतीश सरकार इस पर भी कदम उठाती है, तो यह चुनावी समीकरण को पूरी तरह बदल सकता है और विपक्ष को बैकफुट पर धकेल देगा।


