नालंदा। सिपाही भर्ती परीक्षा में एक बार फिर सॉल्वर गिरोह का चेहरा सामने आया है। नालंदा जिले के सोगरा हाई स्कूल परीक्षा केंद्र से पुलिस ने सॉल्वर, ऑपरेटर और असली अभ्यर्थी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। बायोमेट्रिक जांच में गड़बड़ी के बाद यह खुलासा हुआ, जिसके बाद नगर थाना में तीनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
बायोमेट्रिक जांच ने खोली साजिश की परतें
पुलिस के अनुसार, परीक्षा के दौरान जब एक परीक्षार्थी की बायोमेट्रिक जांच की गई, तो फोटो का मिलान नहीं हो सका। तत्काल सतर्कता बरतते हुए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने जांच शुरू की और पाया कि परीक्षार्थी असली नहीं, बल्कि सॉल्वर है।
गिरफ्तार तीनों की पहचान
- प्रीतम प्रियदर्शी – मिर्जापुर, शंभूगंज (बांका) – सॉल्वर
- अमन भारद्वाज – हवनपुरा, नालंदा – बायोमेट्रिक ऑपरेटर
- विकास सिंह – श्रीपुर, आयर (भोजपुर) – असली अभ्यर्थी
पैसे के बदले परीक्षा देने की साजिश
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि अभ्यर्थी विकास सिंह ने सॉल्वर प्रीतम को 50 हजार रुपये और ऑपरेटर अमन को 30 हजार रुपये दिए थे। इस लेन-देन के बाद पटना से सॉल्वर गिरोह के संपर्क में आकर प्रीतम को परीक्षा में बैठाया गया था।
गिरोह की जड़ तक पहुंचने में जुटी पुलिस
थानाध्यक्ष सम्राट दीपक ने बताया कि सॉल्वर गिरोह पटना से संचालित हो रहा है। पूछताछ में गिरोह के अन्य सदस्यों की जानकारी मिली है। पुलिस अब पूरे नेटवर्क का खुलासा करने की दिशा में छापेमारी कर रही है।
परीक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल
इस घटना के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हैं, बल्कि पूरे सिस्टम की साख को भी नुकसान पहुंचाती हैं।


