जमुई। बिहार के जमुई जिले स्थित नागी-नकटी पक्षी अभयारण्य एक बार फिर सुदूर देशों से आए प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार है। इस साल भी मंगोलिया से आए बार-हेडेड गूज (राजहंस) ने यहां वापसी की है। खास बात यह है कि इसके गले में लगी लाल रंग की B08 कॉलर वही है, जिसे पिछले वर्ष बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) की टीम ने यहीं टैग किया था।
नकटी में 3,000 और नागी में 2,000 विदेशी मेहमान दर्ज

5-6 दिसंबर को हुई प्रारंभिक शीतकालीन जलपक्षी गणना में नकटी में लगभग 3,000 और नागी में करीब 2,000 देसी-विदेशी पक्षी दर्ज किए गए।
नकटी में जहाँ 35 प्रजातियां मिलीं, वहीं नागी में 39 प्रजातियों को देखा गया। सबसे अधिक संख्या रेड क्रेस्टेड पोचार्ड (लालसर) और यूरेशियन कूट (सरार) की रही।
B08 राजहंस की वापसी—सुरक्षा और भरोसे का संकेत

BNHS गवर्निंग काउंसिल सदस्य एवं पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्रा ने बताया कि
“B08 कॉलर वाला राजहंस पिछले साल भी नागी में आया था। इस बार फिर लौटना साबित करता है कि नागी-नकटी प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित और अनुकूल स्थल बन चुका है।”
दुर्लभ प्रजातियां भी दिखीं

इस सर्वे में इंडियन कोर्सर (नुकरी) और चेस्टनट-बेलीड सैंडग्राउज (भट तीतर) भी अच्छी संख्या में मिले — इन्हें देखना पक्षी प्रेमियों के लिए सौभाग्य माना जाता है।
इसके अलावा बूटेड ईगल (गिलहरीमार), ऑस्प्रे (मछलीमार) और ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब (शिवा हंस) भी इस अभयारण्य में देखे गए।
प्रमुख प्रवासी प्रजातियों की आमद
इस बार आने वालों में वीजन, गडवाल, कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न पिनटेल (सींखपर), रूडी शेलडक (चकवा), नॉर्दर्न शोवलर (तिदारी), व्हाइट-आइड पोचार्ड (अरुण) और कॉमन टील प्रमुख रहे।
स्थानीय प्रजातियों में घोंघिल, सफेद बुजा, कराकुल, छोटा पनकौवा, गिर्री आदि बड़ी संख्या में नजर आए।
तीन चरणों में हो रही गणना
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और BNHS के सहयोग से एशियाई जलपक्षी गणना शुरू हो चुकी है।
पहले दौर में चुनिंदा जलाशयों का सर्वे हुआ। जनवरी-फरवरी में लगभग 115 जलाशयों में गणना होगी और शीत ऋतु समाप्ति पर अंतिम चरण आयोजित होगा।
जमुई की टीम ने निभाई अहम भूमिका

गणना का नेतृत्व अरविंद मिश्रा ने किया, जबकि टीम में जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड—संदीप कुमार, मनीष कुमार यादव, श्याम सुंदर यादव, युगल कुमार तथा खगड़िया के प्रशांत कुमार शामिल रहे।
पक्षी प्रेमियों से अपील
अरविंद मिश्रा ने आग्रह किया कि यदि किसी पक्षी के पैर में छल्ला, गर्दन पर कॉलर या पीठ पर ट्रांसमीटर दिखे तो तुरंत वन विभाग या BNHS को सूचित करें।
उनके अनुसार,
“B08 कॉलर वाला राजहंस पिछले वर्ष भी यहीं था। इस बार फिर मंगोलिया से लौटना नागी-नकटी की सुरक्षा और अनुकूलता का प्रमाण है। कॉलर वाले पक्षी प्रवास का पूरा रास्ता समझने में मदद करते हैं।”


