मोकामा में जन सुराज-जेडीयू भिड़ंत में दुलारचंद यादव की मौत, कभी नीतीश-लालू और अनंत के थे करीबी
पटना। बिहार का मोकामा विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर गोलियों की आवाज से गूंज उठा। गुरुवार दोपहर जन सुराज और जेडीयू समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 75 साल के दुलारचंद यादव की मौत हो गई।
दुलारचंद कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह — तीनों के करीबी रह चुके थे।
घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया है।
कैसे हुई घटना?
गुरुवार दोपहर जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी और जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह का काफिला तरतार गांव के बसावनचक मोड़ के पास आमने-सामने आ गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, दोनों ओर से पहले नारेबाजी और फिर पथराव शुरू हुआ। इसके बाद गोलियां चलीं।
इसी दौरान गोली लगने से दुलारचंद यादव गिर पड़े और अफरातफरी में एक वाहन ने उन्हें कुचल दिया।
घटना में करीब एक दर्जन लोग घायल हुए हैं।
चुनाव आयोग ने रिपोर्ट तलब की, चार FIR दर्ज
घटना के बाद चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मांगी है।
पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की हैं —
- एक एफआईआर दुलारचंद यादव के परिजनों ने अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर दर्ज कराई है।
- दूसरी एफआईआर अनंत समर्थकों ने जन सुराज कार्यकर्ताओं पर कराई है।
- दो अन्य एफआईआर हिंसा और अवैध हथियारों के उपयोग से जुड़ी हैं।
एसडीपीओ पोलत्स कुमार ने बताया कि “मामले की जांच की जा रही है। इंटरनेट मीडिया पर जो वीडियो वायरल हैं, उनकी सत्यता भी परखी जा रही है।”
कौन थे दुलारचंद यादव?
- दुलारचंद यादव मोकामा की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम रहे हैं।
- वह अलग-अलग दौर में नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और अनंत सिंह — तीनों से जुड़े रहे।
- उनके खिलाफ 1991 से 2010 के बीच 11 आपराधिक मामले दर्ज हुए थे।
- उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी और अवैध हथियार रखने के आरोप लगे थे।
- उनका नाम कांग्रेस कार्यकर्ता सीताराम सिंह हत्या केस में भी आया था। इस केस में नीतीश कुमार और अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह भी आरोपी थे, लेकिन बाद में दोनों को बरी कर दिया गया।
- 2019 में पटना हाईकोर्ट ने नीतीश कुमार के खिलाफ यह केस समाप्त कर दिया था।
अनंत सिंह का इतिहास भी कम विवादित नहीं
अनंत सिंह, जिन्हें लोग ‘छोटे सरकार’ के नाम से जानते हैं, 2005 से मोकामा सीट पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं।
- उनके खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
- 2019 में यूएपीए मामले में उन्हें 10 साल की सजा हुई थी, हालांकि 2024 में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया।
- 2015 में उन्हें किडनैपिंग और मर्डर केस में गिरफ्तार किया गया था।
उस वक्त पुलिस ने 500 से ज्यादा जवानों के साथ छापा मारा था।
वहां से हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और खून से सने कपड़े बरामद किए गए थे।
अब फिर ‘भूमिहार बनाम यादव’ समीकरण
मोकामा की राजनीति लंबे समय से अपराध, जाति और बाहुबल के संगम से चलती रही है।
यह इलाका भूमिहार बाहुबलियों का गढ़ माना जाता है।
दुलारचंद यादव कुछ गिने-चुने गैर-भूमिहार नेताओं में से थे जिन्होंने यहां प्रभाव बनाया।
इस बार समीकरण और भी जटिल हैं —
- जेडीयू से अनंत सिंह (भूमिहार) मैदान में हैं,
- आरजेडी ने सुरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को टिकट दिया है,
- जन सुराज से पीयूष प्रियदर्शी (यादव) उतर चुके हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दुलारचंद और अनंत सिंह के बीच तनाव तब बढ़ा जब दुलारचंद ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का साथ देना शुरू किया।
पुलिस की सख्ती, लेकिन इलाके में खौफ कायम
पुलिस ने पूरे इलाके में भारी बल की तैनाती की है।
गांवों में अब भी तनावपूर्ण शांति बनी हुई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि “मोकामा की राजनीति में गोली और बाहुबल नया नहीं है, लेकिन चुनावी समय पर इस तरह की वारदात पूरे माहौल को बिगाड़ देती है।”


