मोतिहारी, 16 सितंबर।बिहार के मोतिहारी जिले से एक अविश्वसनीय खबर सामने आई है। 15 साल पहले कोलकाता के बाबू घाट पर गंगा स्नान के दौरान बिछड़े नगीना सहनी आखिरकार अपने घर लौट आए। परिवार ने उन्हें मृत मानकर अंतिम संस्कार तक कर दिया था। लेकिन राजस्थान के एक समाजसेवी की मदद से नगीना वापस अपने परिजनों से मिल गए।
2009 में परिवार से बिछड़े थे नगीना
मोतिहारी जिले के सुगौली प्रखंड के उतरीं छपरा बहास पंचायत के मेहवा गांव निवासी नगीना सहनी साल 2009 में गंगा स्नान के दौरान अपने परिवार से बिछड़ गए थे। परिजन वर्षों तक उनकी तलाश करते रहे लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
निराश होकर परिजनों ने गांव की परंपरा के अनुसार आटे का पुतला बनाकर उनका श्राद्ध कर्म और अंतिम संस्कार कर दिया। नगीना की पत्नी ने विधवा का जीवन स्वीकार कर लिया था, जबकि उनके दो बेटे और तीन बेटियां पिता की यादों के साथ जी रहे थे।
“हमने 10 साल तक उनकी तलाश की। असफल होने पर गांव की परंपरा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार कर दिया। लेकिन आज उनके लौटने से घर में खुशियां लौट आई हैं।”
– नगीना सहनी का बेटा
समाजसेवी जिगर रावल ने बदली जिंदगी
नगीना की किस्मत तब बदली जब राजस्थान के सिरोही जिले के स्वरूपगंज में समाजसेवी जिगर रावल उन्हें सड़क पर भटकते हुए मिले। उन्होंने नगीना को मानव सेवा आश्रम में आश्रय दिया।
शुरुआत में नगीना अपना सही पता नहीं बता पा रहे थे, लेकिन रजिस्ट्रेशन के दौरान उन्होंने अपने गांव का नाम बता दिया। इसके बाद जिगर ने परिवार को ढूंढ निकाला।
वीडियो कॉल ने बदल दी कहानी
जिगर रावल ने नगीना और उनके परिजनों को वीडियो कॉल पर मिलवाया। उस वक्त परिवार चौथे श्राद्ध की तैयारी कर रहा था। जैसे ही परिजनों ने नगीना को जीवित देखा, उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
मानसिक स्थिति हुई थी खराब
नगीना ने बताया कि परिवार से बिछड़ने के बाद उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी।
“मुझे लगता था कि परिवार वालों ने मुझे छोड़ दिया। सड़क पर जो मिलता, उसे गले में डाल लेता और कहता कि मुझे 1 लाख साल पहले घर से भगा दिया गया।”
– नगीना सहनी
गांव में जश्न का माहौल
नगीना के घर लौटते ही पूरा मेहवा गांव खुशी से झूम उठा। परिजन भावुक हो गए और ग्रामीणों ने इसे ईश्वर की कृपा बताया। पूरे गांव में उल्लास का माहौल है और लोग इस घटना को चमत्कार मान रहे हैं।
जिगर रावल का मिशन
सिरोही जिले के पिंडवाड़ा निवासी जिगर रावल पिछले कुछ महीनों में 10 बिछड़े लोगों को उनके परिवार से मिलवा चुके हैं। उनका कहना है –
“आओ किसी और के लिए जीते हैं।”
वे लोगों से अपील करते हैं कि बेसहारा लोगों की मदद के लिए मानव सेवा आश्रम से जुड़ें।
यह कहानी न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल बन गई है कि मानवता और सेवा से किसी की जिंदगी बदल सकती है।


