2 दिसंबर, मंगलवार का दिन बिहार की राजनीति के लिए ऐतिहासिक रहा। बिहार विधानसभा को नया अध्यक्ष मिल गया है और यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ विधायक डॉ. प्रेम कुमार को सौंपी गई है। उन्होंने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव दोनों ही उन्हें उनके आसन तक छोड़ने पहुंचे — जो बिहार की राजनीति में एक सकारात्मक संदेश माना जा रहा है।
नामांकन से लेकर निर्विरोध जीत तक — कैसे आगे बढ़ी प्रक्रिया?
सोमवार, 1 दिसंबर को डॉ. प्रेम कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। राजनीतिक हलकों में उस समय ही यह तय माना जा रहा था कि वे निर्विरोध चुने जाएंगे, क्योंकि विपक्ष की ओर से किसी भी उम्मीदवार ने नामांकन नहीं भरा।
विपक्ष का यह कदम संकेत था कि वे भी डॉ. प्रेम कुमार के नाम पर सहमत हैं।
मंगलवार को विधानसभा में औपचारिक घोषणा के साथ ही डॉ. प्रेम कुमार को निर्विरोध स्पीकर चुना गया।
कौन हैं डॉ. प्रेम कुमार?
- 9वीं बार विधायक चुने जाने वाले डॉ. प्रेम कुमार बिहार के अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं।
- शांत स्वभाव, संतुलित व्यवहार और विधायी कार्यों की गहरी समझ उनकी पहचान है।
- वे कई बार मंत्री रह चुके हैं और बिहार की राजनीति में एक भरोसेमंद चेहरा माने जाते हैं।
बदलते समीकरण: क्यों BJP के लिए अहम है यह पद?
इस बार के विधानसभा चुनाव ने बिहार की राजनीति का समीकरण बदल दिया है।
- BJP 89 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी
- जबकि जेडीयू 85 सीट के साथ पीछे रह गई
पहले की सरकारों में जहां जेडीयू ‘बड़े भाई’ की भूमिका में हुआ करती थी, वहीं इस बार BJP गठबंधन की मुख्य निर्णायक शक्ति बनकर उभरी है।
स्पीकर पद मिलने से BJP की यह स्थिति और सुदृढ़ हो गई है।
सरकार में BJP की बढ़ती पकड़
वर्तमान सरकार में कई प्रमुख पद पहले ही BJP के पास हैं—
- डिप्टी सीएम: सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा
- गृह विभाग (Home Department)
- और अब विधानसभा स्पीकर का पद भी BJP के खाते में
इससे सरकार और विधानसभा—दोनों ही स्तरों पर BJP की पकड़ मजबूत होती दिखाई दे रही है।
स्पीकर के रूप में BJP की रणनीतिक बढ़त
विधानसभा अध्यक्ष का पद बेहद महत्वपूर्ण होता है।
स्पीकर सदन की कार्यवाही से लेकर विधेयकों, बहस, प्रश्नकाल जैसे संवैधानिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।
इस पद पर अपने नेता की नियुक्ति से BJP को कई रणनीतिक लाभ मिलेंगे—
- सदन के संचालन पर अधिक नियंत्रण
- सरकार के विधायी एजेंडे को तेजी से आगे बढ़ाने की क्षमता
- गठबंधन के भीतर राजनीतिक नेतृत्व का और मजबूत होना
बिहार की राजनीति में आगे क्या?
डॉ. प्रेम कुमार के निर्विरोध चुने जाने को केवल एक औपचारिक नियुक्ति नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे बिहार राजनीति में बदलते शक्ति संतुलन का प्रतीक बता रहे हैं।
BJP अब न केवल चुनाव परिणामों के आधार पर बल्कि सत्ता संरचना में भी ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाती दिख रही है।
यह बदलाव आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में नए समीकरण और नई रणनीतियों को जन्म दे सकता है।


