भागलपुर | 17 अक्टूबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, सुल्तानगंज में सियासी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को निर्दलीय प्रत्याशी अजीत कुमार ने नामांकन दाखिल कर चुनावी मैदान में औपचारिक रूप से एंट्री कर ली।
नामांकन के दौरान सैकड़ों समर्थकों का जनसैलाब अनुमंडल कार्यालय परिसर में उमड़ पड़ा। भीड़ इतनी थी कि सुरक्षा व्यवस्था के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा। कार्यकर्ताओं ने हाथों में झंडे और बैनर लेकर जोरदार नारे लगाए —
“हमारा विधायक कैसा हो, अजीत कुमार जैसा हो!”
‘जनता अब बदलाव चाहती है’ — अजीत कुमार
नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में अजीत कुमार ने कहा कि सुल्तानगंज की जनता अब बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा,
“पिछले कई वर्षों से लोग विकास की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन निराशा हाथ लगी है। अब जनता खुद आगे बढ़कर बदलाव लाने के लिए तैयार है। यह जो भीड़ है, यह मेरे नहीं, जनता के आक्रोश और विश्वास की झलक है।”
अजीत कुमार ने अपने जनसंपर्क अभियानों का जिक्र करते हुए कहा कि वे हर गांव और हर मोहल्ले में जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं।
“हमारे लिए राजनीति सेवा का माध्यम है, सत्ता का नहीं,” उन्होंने कहा।
नामांकन जुलूस में दिखा जोश और ऊर्जा
नामांकन के दिन सुल्तानगंज की सड़कों पर कार्यकर्ताओं का उत्साह देखने लायक था। जगह-जगह समर्थकों ने फूल-मालाओं से स्वागत किया। महिलाओं और युवाओं की भी बड़ी भागीदारी रही। कई जगह लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ अजीत कुमार का अभिनंदन किया।
स्थानीय व्यापारियों और युवाओं में अजीत कुमार के प्रति खासा उत्साह देखा जा रहा है। एक समर्थक ने कहा —
“वो यहां के हैं, हमारी भाषा बोलते हैं, हमारी तकलीफ समझते हैं। इस बार सुल्तानगंज में इतिहास बदलने वाला है।”
वर्तमान विधायक से नाराजगी, जनभावना का फायदा उठाने की कोशिश
सुल्तानगंज में पिछले कुछ महीनों से मौजूदा विधायक के खिलाफ असंतोष की चर्चा चल रही थी। क्षेत्र में सड़क, स्वास्थ्य और बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार आवाज उठाई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अजीत कुमार इस नाराजगी को जनसमर्थन में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
उनकी छवि एक स्थानीय, सुलभ और मिलनसार नेता की है, जो आम लोगों के बीच सीधे संवाद के लिए जाने जाते हैं।
सियासत में नई चुनौती, समीकरण बदलने की उम्मीद
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक अजीत कुमार का निर्दलीय मैदान में उतरना सुल्तानगंज के चुनावी समीकरणों को बदल सकता है।
यह सीट परंपरागत रूप से सत्तारूढ़ दल के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है, लेकिन इस बार जनता में असंतोष की लहर और निर्दलीय प्रत्याशी का बढ़ता प्रभाव मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकता है।
अंत में
अजीत कुमार के नामांकन के साथ ही सुल्तानगंज की सियासत में जोश और जंग दोनों आ चुके हैं। अब देखना यह होगा कि यह “जनसैलाब” वोटों में कितना तब्दील होता है।
अगर जनभावना इसी रफ्तार से कायम रही, तो यह निर्दलीय उम्मीदवार सुल्तानगंज की राजनीति का चेहरा बदल सकता है।


