नई दिल्ली/भागलपुर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और आठ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों से पहले भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को AI जनित (सिंथेटिक) सामग्री का उपयोग करते समय आचार संहिता का पालन करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार द्वारा भ्रामक या असत्यापित जानकारी फैलाने वाले वीडियो या पोस्ट का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आयोग ने बताया कि 6 अक्टूबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है। यह संहिता न सिर्फ उम्मीदवारों और दलों पर लागू होगी, बल्कि सोशल मीडिया, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर (X) और यूट्यूब सहित इंटरनेट पर शेयर होने वाली सभी सामग्री पर भी लागू होगी।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दल केवल अन्य दलों की नीतियों, कार्यक्रमों और सार्वजनिक रिकॉर्ड पर टिप्पणी करेंगे। किसी भी नेता या कार्यकर्ता के निजी जीवन से जुड़ी आलोचना या अफवाह फैलाना सख्त मना है। साथ ही, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करना भी अपराध माना जाएगा।
आयोग ने सभी दलों और उम्मीदवारों को निर्देश दिया है कि AI जनित वीडियो या किसी भी डिजिटल रूप से संवर्धित सामग्री पर स्पष्ट रूप से “AI जनित”, “कृत्रिम सामग्री” या “डिजिटल रूप से संवर्धित” का लेबल लगाना अनिवार्य होगा।
उप निदेशक पी पवन ने कहा कि चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि आचार संहिता और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बिहार विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया पर अफवाह और भ्रामक जानकारी फैलाने की घटनाएं पिछले चुनावों में भी सामने आई थीं। आयोग ने इसे देखते हुए स्पष्ट किया कि AI और डिजिटल सामग्री का गलत इस्तेमाल मतदाताओं को भ्रमित कर सकता है, इसलिए यह कदम उठाया गया है।


