वैशाली।महुआ मोड़ पर 1 दिसंबर को रेडिएंट कैश मैनेजमेंट कंपनी के कर्मचारी से हुई 15 लाख 60 हजार रुपये की लूट का पुलिस ने बड़ा खुलासा कर दिया है।
सदर थाना क्षेत्र में हुई इस वारदात ने उस दिन पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी।
अब इस लूट के पीछे का सच सामने आ चुका है—
घटना को अंजाम देने वाला कोई बाहरी गिरोह नहीं, बल्कि FLIPKART में काम करने वाला कैशियर ही मास्टरमाइंड था।
कैसे पकड़े गए आरोपी? पुलिस ने तकनीक और CCTV से किया खुलासा
लूट के बाद पुलिस अधीक्षक वैशाली के निर्देश पर अनु.पु.प.दा. सदर-1 सुबोध कुमार की अगुवाई में एक विशेष टीम बनाई गई।
टीम ने—
- CCTV फुटेज
- मोबाइल लोकेशन
- स्थानीय इनपुट
- मानवीय गोपनीय सूचना
के आधार पर जांच आगे बढ़ाई और तीनों अपराधियों को दबोच लिया।
गिरफ्तार आरोपी — इनमें से एक रोज कैश गिनकर ऑफिस में बैठता था
- सोनल राज, FLIPKART का कैशियर
निवासी—गदाई सराय, सदर, वैशाली - रूपेश कुमार उर्फ नेपाली,
निवासी—कृष्णापुरी, नगर थाना (वैशाली)
स्थायी पता—सोनपुर, सारण - शुभम कुमार,
निवासी—अकिलाबाद, सदर, वैशाली
पूछताछ में सोनल ने स्वीकार किया कि लूट की प्लानिंग 29 नवंबर को ही कर ली गई थी।
लूट की रकम का इस्तेमाल FLIPKART में अपने पुराने गबन को छिपाने में किया!
पूछताछ के दौरान सोनल ने चौंकाने वाला खुलासा किया—
“लूट में मिले हिस्से से 1 लाख 37 हजार रुपये मैंने FLIPKART में पहले किए गए गबन की भरपाई में लगाए।”
यानि चोरी की भरपाई के लिए फिर चोरी!
यही वजह थी कि वह लूट की प्लानिंग में सबसे आगे रहा।
गिरोह का काला सच: जुलाई की लूट और दुर्गापूजा की गोलीबारी में भी शामिल
अभियुक्त शुभम कुमार ने पुलिस को बताया—
- जुलाई में महुआ मोड़ FLIPKART के कैशकर्मी से हुई लूट इन्हीं के गिरोह ने की थी।
- दुर्गापूजा के दौरान अंजानपीर में हुई गोलीबारी की घटना में भी इनका गिरोह शामिल था।
पुलिस अब दोनों पुरानी घटनाओं को जोड़कर आगे की जांच कर रही है।
पुलिस की बड़ी बरामदगी
गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में उपयोग किए गए हथियार और नकदी बरामद की।
बरामद सामान:
- देशी कट्टा – 1
- जिंदा कारतूस – 1
- लूटा गया 5,00,000 रुपये नकद
- लूटा गया मोबाइल – 1
- अन्य मोबाइल – 2
बाकी रकम की बरामदगी के लिए पुलिस की छापेमारी जारी है।
कौन थी पुलिस टीम?
इस कामयाबी में निम्न पुलिसकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही—
- पु.अ.नि. पप्पू कुमार
- पु.अ.नि. नंदकिशोर पासवान
- सिपाही संजीव कुमार
- सिपाही गोविंदा प्रसाद
- चु.सि. उस्मान अंसारी
- चु.सि. देवेन्द्र कुमार सिंह
निष्कर्ष: अंदरूनी साजिश ने आसान बना दी थी लूट
सबसे बड़ा खुलासा यह रहा कि—
जिस कंपनी का पैसा लूटा गया, वहीं का कर्मचारी लूट का सूत्रधार था।


