भागलपुर, सुल्तानगंज: डीएवी पब्लिक स्कूल सुल्तानगंज में शनिवार को रेफरल अस्पताल सुल्तानगंज की मेडिकल टीम द्वारा एक दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में विद्यालय के सैकड़ों छात्र-छात्राओं की संपूर्ण स्वास्थ्य जांच की गई और आवश्यकतानुसार दवाइयाँ भी मुफ्त उपलब्ध कराई गईं।
विद्यालय में स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने का प्रयास
विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती नेहा नारंग नैय्यर ने बताया कि छात्रों के बेहतर स्वास्थ्य, जागरूकता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष ऐसे मेडिकल कैंप आयोजित किए जाते हैं।
उन्होंने कहा—
“बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी है ताकि किसी भी बीमारी का प्रारंभिक स्तर पर पता लगाकर उसका समाधान किया जा सके। रेफरल अस्पताल की टीम ने जिस समर्पण के साथ शिविर संचालित किया, वह प्रशंसनीय है।”
प्राचार्या ने रेफरल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मुकेश कुमार चौरसिया और उनकी टीम को विशेष धन्यवाद दिया।
चिकित्सकों ने दी स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सलाह
रेफरल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मुकेश कुमार चौरसिया ने छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि—
- बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच अत्यंत आवश्यक है
- खान-पान में पोषक तत्वों का समुचित संतुलन होना चाहिए
- स्वच्छता और स्वच्छ जल का उपयोग स्वास्थ्य सुरक्षा की पहली शर्त है
चिकित्सकों ने बच्चों को दांतों की सफाई, आंखों की देखभाल, पोषण, साफ-सफाई और दैनिक दिनचर्या से जुड़े महत्वपूर्ण दिशानिर्देश भी दिए।

मेडिकल टीम में शामिल चिकित्सक और स्टाफ
शिविर को सफल बनाने में रेफरल अस्पताल की टीम से शामिल थे—
- डॉ. अंजनी कुमार झा
- डॉ. दयानंद दास
- डॉ. कमरुण नेशा
- डॉ. बिमल कुमार
पैरामेडिकल टीम में—
पद्मावती कुमारी, रमेश कुमार, मेघा आनंद, राजनंदिनी, रीना कुमारी, करुणा कुमारी, सविता कुमारी सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी सक्रिय रहे।
विद्यालय स्टाफ की पूरी भागीदारी
स्कूल की ओर से शिक्षकों में—
- पुष्कर सिंह
- सुमन शेखर
- अलखवशिष्ठ
- रमण शंकर प्रसाद
सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने शिविर में सहयोग दिया।
विद्यालय के सभी छात्र-छात्राएं इस स्वास्थ्य शिविर का हिस्सा बने।
शिविर के आयोजन ने बच्चों और अभिभावकों में बढ़ाया भरोसा
इस निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर ने बच्चों को न केवल स्वास्थ्य जांच का अवसर दिया, बल्कि स्वास्थ्य संरक्षण के प्रति जागरूक किया।
विद्यालय प्रशासन का मानना है कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और अभिभावकों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं पर विश्वास दिलाते हैं।


