बेतिया: बिहार की राजनीति में सियासी टकराव अपने चरम पर है। बेतिया से बीजेपी सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) के खिलाफ ₹125 करोड़ का मानहानि मुकदमा दायर किया है। यह मामला किशोर द्वारा लगाए गए पेट्रोल चोरी और अपमानजनक टिप्पणियों के जवाब में दायर किया गया है।
क्या हैं प्रशांत किशोर के आरोप?
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प्रशांत किशोर ने सांसद संजय जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने अपने पेट्रोल पंप के व्यावसायिक लाभ के लिए बेतिया के छावनी फ्लाईओवर का अलाइनमेंट बदलवाया। इसके साथ ही उन्होंने जायसवाल को “टूटपुंजिया नेता” और “पेट्रोल चोर” तक कहा था। इन बयानों के बाद दोनों नेताओं के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया।
सांसद की कानूनी प्रतिक्रिया

संजय जायसवाल ने पहले किशोर को लीगल नोटिस भेजा था, जिसमें उन्होंने सभी आरोपों को निराधार और अपमानजनक बताया। किशोर ने यह स्वीकार किया कि पेट्रोल पंप सांसद के भाई के नाम पर है, लेकिन आरोप लगाना जारी रखा। इसके बाद सांसद ने न्यायिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया।
अदालत में सुनवाई की तारीख तय
मानहानि का यह मुकदमा 4 अक्टूबर को बेतिया दीवानी वाद न्यायालय में अधिवक्ताओं राजेश रंजन, विवेक बिहारी, राजन चतुर्वेदी और चंद्रिका प्रसाद कुशवाहा के माध्यम से दायर किया गया है। इस मामले की सुनवाई 8 अक्टूबर को होने की संभावना है। सांसद के वकीलों का कहना है कि किशोर के बयान जानबूझकर सांसद की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से दिए गए हैं।
पोस्टर विवाद ने बढ़ाया विवाद
प्रशांत किशोर ने हाल में बेतिया में सांसद के खिलाफ पोस्टर लगाकर उन पर पेट्रोल घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह कदम सांसद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और जनभावना को भड़काने के लिए उठाया गया।
पहले भी फंसे हैं किशोर
यह पहली बार नहीं है जब प्रशांत किशोर पर मानहानि का मामला दर्ज हुआ हो। इससे पहले जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने भी उनके खिलाफ ₹100 करोड़ का मानहानि केस दायर किया था। किशोर ने चौधरी पर 200 करोड़ के घोटाले और जमीन हेराफेरी का आरोप लगाया था, जिसे चौधरी ने पूरी तरह खारिज कर दिया था।
सियासी हलचल तेज
इस विवाद ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीजेपी और जनसुराज के बीच बढ़ती तल्खी अब खुले मंच पर दिखाई दे रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला न सिर्फ कोर्ट की लड़ाई है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों में राजनीतिक नैरेटिव तय करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है।


