बिहार चुनाव में बड़ा बवाल: पप्पू यादव पर आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही राजनीति गरमा गई है। इसी बीच जन अधिकार पार्टी (JAP) के प्रमुख और निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव एक बार फिर विवादों में आ गए हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पप्पू यादव वैशाली जिले में लोगों के बीच खुलेआम पैसे बांटते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह वीडियो एक जनसंपर्क कार्यक्रम का है। वीडियो वायरल होते ही चुनाव आयोग ने तत्काल संज्ञान लिया और संबंधित जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी।

जांच के बाद प्रशासन ने पाया कि यह मामला आचार संहिता उल्लंघन का है। इसके बाद पप्पू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है। अब प्रशासन यह भी जांच कर रहा है कि पैसे बांटने की यह घटना कब और कहां हुई थी और इस दौरान उनके साथ कौन-कौन मौजूद थे।


पप्पू यादव बोले – “गरीबों की मदद अपराध है तो मैं बार-बार करूंगा”

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इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए पप्पू यादव ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है। उन्होंने कहा,

“मैं जनता की सेवा के लिए हमेशा मैदान में रहता हूं। गरीबों की मदद करना अगर अपराध है, तो मैं यह अपराध बार-बार करूंगा।”

उन्होंने वीडियो को एडिटेड बताया और आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने यह वीडियो फैलाया ताकि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सके।


चुनाव आयोग सख्त, कोई रियायत नहीं

बिहार चुनाव में इस बार आयोग ने साफ कर दिया है कि मतदाताओं को लालच देने या उपहार बांटने वालों पर तुरंत कार्रवाई होगी। पप्पू यादव पर हुई एफआईआर से यह संदेश गया है कि आयोग इस बार किसी भी नेता के दबाव में नहीं आने वाला।

कानूनी तौर पर केवल एफआईआर दर्ज होने से किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन अगर आरोप गंभीर साबित होते हैं, तो आयोग उनकी उम्मीदवारी पर आपत्ति दर्ज कर सकता है।


राजनीतिक प्रभाव और आगे का रास्ता

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला पप्पू यादव की छवि के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। विरोधी दल इसे बड़ा मुद्दा बनाकर जनता के बीच उनकी छवि पर सवाल उठा सकते हैं।

बिहार की राजनीति में पप्पू यादव हमेशा विवादों में रहे हैं, लेकिन इस बार मामला और गंभीर है क्योंकि यह सीधे चुनावी आचार संहिता से जुड़ा है। अब देखना यह होगा कि क्या वे खुद को निर्दोष साबित कर पाते हैं या यह केस उनके चुनावी सफर में रोड़ा बनता है।


 

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