बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नवंबर में हो सकते हैं चुनाव, आज हो सकता है तारीखों का ऐलान

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। चुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार अब अपने अंतिम चरण में नजर आ रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर 2025 में कराए जा सकते हैं। दीपावली और छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों को देखते हुए अब राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं।

चुनाव आयोग की उच्चस्तरीय टीम इस समय बिहार में मौजूद है। आयोग ने 4 और 5 अक्टूबर को राज्य निर्वाचन विभाग और राजनीतिक दलों के साथ दो दिवसीय बैठक आयोजित की है। इस बैठक में चुनाव की तैयारियों, मतदाता सूची, सुरक्षा व्यवस्था और संवेदनशील बूथों की पहचान जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। आयोग ने राज्य प्रशासन से चुनावी तैयारियों की रिपोर्ट भी मांगी है।

नवंबर में चुनाव होने की संभावना सबसे प्रबल मानी जा रही है। इस वर्ष छठ महापर्व 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा, जो बिहार के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। आयोग चाहता है कि छठ पर्व के बाद मतदान कराया जाए ताकि प्रवासी बिहारी भी मतदान में भाग ले सकें।

जदयू की ओर से प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने आयोग से अनुरोध किया है कि मतदान छठ पर्व के बाद कराया जाए। वहीं, जदयू के प्रतिनिधिमंडल में शामिल पूर्व सांसद अनिल हेगड़े ने प्रति प्रत्याशी वाहनों की सीमा 5 से बढ़ाकर 20 करने की मांग की है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने आयोग से आग्रह किया कि अधिसूचना जारी होने के 28 दिन बाद मतदान कराया जाए, ताकि तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। भाजपा ने सुझाव दिया कि यदि अधिसूचना अक्टूबर के पहले सप्ताह में जारी होती है, तो मतदान 3 या 4 नवंबर को कराया जा सकता है। इसके अलावा भाजपा ने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने, धार्मिक स्थलों के पास बने बूथों को स्थानांतरित करने और दियारा क्षेत्रों में घुड़सवार पुलिस की तैनाती की मांग की है।

राजद के प्रतिनिधिमंडल में सांसद अभय कुशवाहा, प्रवक्ता चित्तरंजन गगन और महासचिव मुकुंद सिंह शामिल थे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में 3.66 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए गए और राजनीतिक दलों को इसकी पूर्व सूचना नहीं दी गई। राजद ने संवेदनशील बूथों की सूची सार्वजनिक करने और व्यक्तिगत टिप्पणी या चरित्र हनन जैसे बयानों पर रोक लगाने की मांग की।

कांग्रेस ने आयोग से अनुरोध किया कि मतदान की तारीखें त्योहारों और परीक्षा सत्रों से न टकराएं।
लोजपा (रामविलास) ने मांग की कि आचार संहिता लागू होते ही सरकारी योजनाओं की समीक्षा रोकी जाए और प्रचार खर्च की पारदर्शी निगरानी प्रणाली लागू की जाए।
वामदलों ने ग्रामीण क्षेत्रों में ईवीएम सुरक्षा, पर्याप्त रोशनी और महिला सुरक्षा बल की तैनाती सुनिश्चित करने की मांग रखी।

चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि बिहार में चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण, पारदर्शी और हिंसा मुक्त हों। इसके लिए सुरक्षा बलों की पर्याप्त तैनाती, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और मतदाता भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दीपावली और छठ के बाद नवंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में मतदान प्रक्रिया शुरू हो सकती है। आमतौर पर आयोग मतदान से 25–30 दिन पहले कार्यक्रम की घोषणा करता है, जिससे उम्मीद है कि अक्टूबर के मध्य तक तारीखों का ऐलान हो जाएगा।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने बताया कि वोटर लिस्ट अपडेट, ईवीएम परीक्षण और कर्मचारियों का प्रशिक्षण पहले से जारी है। त्योहारों के बाद बिहार का सियासी माहौल और अधिक गर्माने वाला है, क्योंकि सभी दल अब प्रचार अभियान और उम्मीदवार चयन में तेजी लाने जा रहे हैं। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय और बेहद दिलचस्प होने की संभावना है

WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें
  • Related Posts

    इंडिगो संकट पर सरकार की सख़्ती: एयरलाइंस के किराए पर फेयर कैप लागू, यात्रियों को बड़ी राहत

    Continue reading
    बिहार के नवनिर्वाचित विधायकों को मिले आधुनिक सरकारी आवास, 44 एकड़ में बना परिसर

    Continue reading