पटना | बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही भाजपा ने अपनी जीत और हार दोनों सीटों पर रणनीति तैयार कर ली है। पार्टी न सिर्फ 2020 में जीती हुई सीटों पर कब्जा बनाए रखने में जुटी है, बल्कि पिछली बार हारी हुई 36 सीटों में से हर एक पर विशेष रणनीति तैयार कर रही है।
भाजपा की पिछली चुनावी स्थिति
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 74 सीटों पर जीत दर्ज की गई। वहीं, 36 सीटों पर हार हुई थी। इस बार चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं, इसलिए इन 36 सीटों में से पहले चरण में 18 और दूसरे चरण में 18 सीटों पर पार्टी का मुकाबला विपक्ष से होगा।
भाजपा के लिए खासतौर पर चार जिलों का अनुभव 2020 में खराब रहा था। इनमें:
- औरंगाबाद: गोह, औरंगाबाद
- रोहतास: डिहरी, काराकाट
- कैमूर: रामगढ़, मोहनिया, भभुआ, चैनपुर
- बक्सर: बक्सर
कैमूर में 2015 में भाजपा की चारों सीटें जीती थीं, लेकिन 2020 में हर सीट हारी। इसी वजह से पार्टी इस बार शाहाबाद क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है।
शाहाबाद और मगध पर फोकस
शाहाबाद और मगध क्षेत्र में जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी ने सुपर स्टार रणनीति अपनाई है। बॉलीवुड और भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह को विशेष अभियान के लिए मैदान में उतारा गया है।
इसके अलावा रालोमो के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का प्रभाव इस क्षेत्र में खासा है। दिल्ली में भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े ने पवन सिंह की उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात कराई, ताकि सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के साथ तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।
पहले चरण में हारी हुई सीटें
बैकुंठपुर, दरौली, सीवान, राघोपुर, गरखा, सोनपुर, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, बखरी, उजियारपुर, बक्सर, तरारी, शाहपुर, बखित्यारपुर, फतुहा, दानापुर, मनेर, बिक्रम
दूसरे चरण में हारी हुई सीटें
कल्याणपुर, भागलपुर, रजौली, हिसुआ, बोधगया, गुरुआ, औरंगाबाद, गोह, डिहरी, काराकाट, रामगढ़, मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, जोकिहाट, बायसी, किशनगंज, अरवल
भागलपुर पर विशेष ध्यान
भाजपा का लक्ष्य है कि भागलपुर जिले की सभी सीटों पर मजबूत पकड़ बनाए रखी जाए और पिछली हार दोबारा न हो। उम्मीदवारों के चयन और प्रचार अभियान में विशेष सावधानी बरती जा रही है।
भागलपुर के चुनावी मोर्चे पर सभी गतिविधियां फूंक-फूंक कर की जा रही हैं, जिससे भाजपा को जिले में हर सीट पर मजबूती मिल सके।
रणनीति का सार
भाजपा की रणनीति “फूंक-फूंक कर कदम” रखने की है। इसमें प्रमुख बिंदु हैं:
- हार पर ध्यान केंद्रित करना और उम्मीदवारों का चयन सावधानी से करना
- सहयोगी दलों के साथ तालमेल मजबूत करना
- शाहाबाद और मगध क्षेत्रों में सुपरस्टार और लोकप्रिय नेताओं का उपयोग
- 2020 में हारी हुई सीटों पर विशेष अभियान और संपर्क
भाजपा इस बार 2020 जैसी हार दोहराने नहीं देना चाहती और हर जिले में व्यक्तिगत स्तर पर रणनीति बनाकर चुनावी तैयारी कर रही है।


