पटना: भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और चर्चित चेहरा पवन सिंह एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने जा रहे हैं। करीब 16 महीने बाद उनकी राजनीतिक घरवापसी लगभग तय मानी जा रही है। हाल ही में दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात के बाद से ही यह अटकलें तेज थीं, जो अब सच साबित होती दिख रही हैं।
भाजपा की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि पवन सिंह की यह वापसी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा है।
पार्टी शाहाबाद क्षेत्र में राजपूत, कुशवाहा और यादव मतदाताओं को साधने की कोशिश में है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा उन्हें आरा या काराकाट विधानसभा सीट से उतार सकती है। भोजपुर जिले के रहने वाले पवन सिंह का इस क्षेत्र में गहरा सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव है।
लोकप्रियता और सियासी प्रभाव
भोजपुरी फिल्मों के सुपरहिट अभिनेता-संगीतकार पवन सिंह की लोकप्रियता सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं है। उनके प्रशंसक भोजपुर, बक्सर, रोहतास और कैमूर तक फैले हैं, जिन्हें मिलाकर शाहाबाद क्षेत्र कहा जाता है।
यहां 22 विधानसभा सीटें हैं, जहां जातीय समीकरण राजनीति को प्रभावित करते हैं — राजपूत 15–17%, कुशवाहा 12% और यादव लगभग 20% मतदाता हैं।
भाजपा को उम्मीद है कि पवन सिंह का चेहरा राजपूत वोटों के साथ युवा और भोजपुरी भाषी वर्ग को भी आकर्षित करेगा।
भाजपा से निष्कासन और अब घरवापसी
पवन सिंह 2017 में भाजपा से जुड़े थे और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य भी बने।2024 लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी लाइन से अलग होकर काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।
उन्हें 2.74 लाख वोट मिले और वे भाजपा समर्थित एनडीए उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा से आगे रहे।इस बगावती कदम के बाद भाजपा ने 22 मई 2024 को उन्हें निष्कासित कर दिया था।
अब उनकी घरवापसी पर उन्होंने कहा —
“मैं कभी भाजपा से दूर नहीं गया था, बस परिस्थितियां अलग थीं। मैं भाजपा की विचारधारा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भरोसा रखता हूं।”
रणनीतिक गणित और नई भूमिका
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह कदम रणनीतिक रूप से अहम है। शाहाबाद क्षेत्र में भाजपा को एक मजबूत राजपूत चेहरा चाहिए था। पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह के पार्टी नेतृत्व से रिश्तों में आई ठंडक के बीच, पवन सिंह भाजपा के लिए एक नया विकल्प बनकर उभरे हैं।
इसके साथ ही भाजपा उनकी भोजपुरी स्टार पावर को भी चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार, उन्हें पार्टी का भोजपुरी ब्रांड एंबेसडर बनाया जा सकता है, जिससे युवाओं में भाजपा की अपील बढ़ेगी।
सियासत में बढ़ी हलचल
राजनीति में वापसी के साथ पवन सिंह एक बार फिर बिहार की सियासत के केंद्र में हैं। भाजपा को उम्मीद है कि उनका करिश्मा न सिर्फ शाहाबाद की 22 सीटों पर बल्कि पूरे बिहार में असर डालेगा।
वहीं विपक्षी दल इसे भाजपा की “ग्लैमर पॉलिटिक्स” बता रहे हैं,
लेकिन भाजपा का कहना है कि यह “जनप्रियता और जनसंपर्क का सही संगम” है।
आने वाले हफ्तों में पवन सिंह की औपचारिक सदस्यता ग्रहण समारोह और संभावित निर्वाचन क्षेत्र पर पार्टी की घोषणा होने की उम्मीद है। फिलहाल इतना तय है कि पवन सिंह की वापसी ने बिहार की सियासी तापमान में नई गर्माहट ला दी है।


